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एमईए (MEA)  यानी विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी काफी गुस्से में दिखाई दिए। शुक्रवार को को हुई एमईए की इस बैठक में तीखी बहस देखने को मिली। राहुल ने बैठक के दौरान सरकार से वैश्विक चुनौतियों, विशेष तौर पर चीन से निपटने के लिए स्‍पष्‍ट रणनीति की मांग की, जिसके बाद विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने काफी देर तक उन्‍हें समझाने की कोशिश की। डॉ. जयशंकर ने चीन को लेकर लगभग एक घंटा का प्रजेंटेशन दिया, जिसे राहुल गांधी ने ‘लॉन्‍ड्री लिस्‍ट’ बताकर खारिज कर दिया। कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर ने भी राहुल गांधी की बातों में हामी भरी। बैठक के दौरान राहुल तथा डॉ. जयशंकर के बीच कई बार नोक-झोंक हुई। करीब साढ़े तीन घंटे तक चली इस बैठक के दौरान दो घंटे से ज्‍यादा समय तक डॉ. जयशंकर और श्रृंगला जवाब ही देते रहे।

कांग्रेस सांसद राहुल ने बैठक के दौरान सरकार के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा कि वह अपनी उपलब्धियां न गिनाएं, बल्कि एक ‘साफ और मजबूत’ रणनीति सामने रखे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसके जवाब में डॉ. जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी (LAC) यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन ने जो किया, उससे शांति भंग हुई है। उन्‍होंने बताया कि मौजूदा समय में सरकार की रणनीति सीमावर्ती इलाकों में सैनिक तैनात रखने और सशस्‍त्र बलों को सपोर्ट करने की है। उन्होंने बताया कि भारत के बॉर्डर इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को मजबूत करने से चीन को समस्‍या है। उन्‍होंने कहा यूपीए सरकार के समय में 2014 तक सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास का कार्य बहुत धीमा था। इसके बाद जब एनडीए की सरकार आई तो उसने बुनियादी ढांचे के लिए बजट को बढ़ाया और उसे लागू करने की स्‍पीड को चौगुना किया गया। इस पर राहुल ने साफ-साफ पूछा कि क्‍या सरकार के पास कोई ऐसी रणनीति है जिसे ‘तीन वाक्‍यों में समेटा जा सके?’ उन्होंने पूछा कि सरकार उस स्थिति में क्‍या करेगी जब चीन की रणनीति सैन्‍य से हटकर क्षेत्रीय हो जाएगी। जब चीन भारत का केंद्रीय रूप कमजोर करने के लिए पुरानी सिल्‍क रोड को बदलकर एक लैंड रूट में बदल देगा, जो चीन को यूरोप (बीआरआई) और पाकिस्‍तान (सीपीईसी ) के जरिए खाड़ी से जोड़ देगा। उन्‍होंने यह भी पूछा क्‍या भारत के पास ‘बाइपोलर’ दुनिया यानी अमेरिका बनाम चीन के लिए कोई रणनीति है।

इसके जवाब में डॉ. जयशंकर ने कहा कि बीआरआई और कनेक्टिविटी को लेकर भारत की रणनीति 2017 में पहले बीआरआई (BRI) फोरम से ही साफ कर दी गई थी। इस मामले में भारत की जो पोजिशन है, वैसी ही पोजिशन अब दुनिया के कई देश ले रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि हम इस कोशिश में है कि और मल्‍टी-पोलर दुनिया बन सके। इसके लिए पहले हमें मल्‍टी-पोलर एशिया बनाना होगा।

इस पर राहुल ने कहा कि वह चाहते हैं कि मीटिंग के मिनट्स ऐडवांस में सर्कुलेट किए जाएं। इसपर जयशंकर ने कहा कि पहले के सालों में ऐसा होता रहा था, लेकिन जब प्रणब मुखर्जी विदेश मंत्री थे तो उन्‍होंने सुरक्षा कारणों से ऐसा करना बंद करा दिया था।

 

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