नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 51वां दिन है। कड़ाके की सर्दी तथा कोरोना संकट के बीच दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। इस मुद्दे पर आज सरकार और किसानों के बीच बातचीत होगी।
किसान संगठनों ने कहा है कि हम सरकार से बातचीत करने को तैयार हैं, लेकिन, प्रदर्शनकारी किसानों ने साफ कह दिया कि वे किसी भी सूरत में सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से बात नहीं करेंगे। किसानों का कहना है कि यह कमेटी सरकार के लिए ही काम करेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद विशेषज्ञों की समिति को अभी तक नियुक्ति संबंधी कोई पत्र नहीं मिला है। वहीं सरकार ने कहा है कि हम शुक्रवार को किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहा कि हमें उम्मीद है कि किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत सकारात्मक होगी।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति से एक सदस्य ने अपना नाम वापस ले लिया। समिति के सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने कहा है कि वह किसानों के साथ हैं और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी से अपना नाम वापस ले रहे हैं।
वहीं बीकेयू (BKU) यानी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन कमेटी से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार कानून वापस नहीं ले लेती।
महिला किसान अपनी मांगों को लेकर 18 जनवरी को देशभर के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगी। इस सिलसिले में बुधवार को किसानों की बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया। वहीं गणतंत्र दिवस पर यानी 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड की तैयारी किसान जोर-शोर से जुट गए हैं। पंजाब में इसके लिए वॉलंटियर्स की भर्ती की जा रही है। महिलाएं ट्रैक्टर चलाकर प्रैक्टिस कर रहीं हैं।