किसान आंदोलन….10वें दौर की बैठक भी बेनतीजा, अब 19 को ‘अंतिम’ कोशिश

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Rakesh Tikait
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प्रखर खबर. नई दिल्ली
किसान नेताओं और सरकार के बीच 10वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही और अब 19 जनवरी को एक बार फिर बातचीत होगी। किसान आंदोलन के 51वें दिन लगा था कि कुछ खास होगा, गतिरोध टूटेगा, लेकिन विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच आज 4 घंटे चली मैराथन बैठक का कोई हल सामने नहीं आया। किसान कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े रहे, जबकि सरकार उन्हें मनाने का भरसक प्रयास करती रही।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को यहां तक कहना पड़ा कि हमने आपकी कुछ मांगें मानी हैं, हमारी भी कुछ बातें आपको माननी चाहिए, लेकिन किसान इसके लिए बिल्कुल ही तैयार नहीं हुई।भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार जितनी बार बुलाएगी हम आएंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने नहीं जाएंगे। हमारी बस दो ही मांगें हैं पहली ये कि तीनों कानून वापस हों और दूसरी ये कि एमएसपी पर कानून बने। दूसरी तरफ, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करती है। सरकार कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी के समक्ष अपने विचार रखेगी। हम बातचीत के जरिये मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

गौरतलब है कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल की पहली बैठक 19 जनवरी को होने की संभावना है, ऐसे में शुक्रवार को केन्द्र सरकार और किसान संघों के बीच इस मुद्दे पर यह अंतिम बैठक हो सकती है।

जानें, पिछली 9 बैठकों में क्या हुआ?
पहला दौर… जब 14 अक्टूबर को हुआ आमना-सामना
क्या हुआः मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।
दूसरा दौर… 13 नवंबर को 7 घंटे बैठने के बाद भी नहीं साथ
क्या हुआः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
तीसरा दौर… 1 दिसंबर को भी 3 घंटे बेकार गए
क्या हुआः तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।
चौथा दौर… 3 दिसंबर को सरकार के वादे नाकाम रहे
क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

5वां दौर… 5 दिसंबर को लिखित गारंटी देने की बात भी रास नहीं आई
क्या हुआः सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

6वां दौर… 8 दिसंबर को गृमंत्री ने संभाला मोर्चा
क्या हुआः भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

7वां दौर… 30 दिसंबर को सिर्फ 2 मुद्दों पर रजामंदी
क्या हुआ: नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।

8वां दौर…. 4 जनवरी को नए साल में भी वही हाल
क्या हुआ: 4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।

9वां दौर…8 जनवरी को नया नारा ‘मरेंगे या जीतेंगे’
क्या हुआ: बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने बैठक में तल्ख रुख अपनाया। बैठक में किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी माना कि 50% मुद्दों पर मामला अटका हुआ है।

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