Sushil Modi

नए कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन तब तक समाप्त नहीं करेंगे जबतक इन्हें निरस्त नहीं कर दिया जाता। किसान अपनी मांग पर डटे हैं वहीं मोदी सरकार ने साफ कह दिया है कि कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं होंगे. किसान आंदोलन का समाधान निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी बनाई थी. लेकिन किसानों ने इस कमेटी को खारिज कर दिया है. ऐसे में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की पहल ठुकरा कर किसान नेताओं ने बदनीयती जाहिर कर दी है।

राज्यसभा सांसद एवं बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कृषि कानूनों पर अंतरिम लगने के बावजूद किसानों के जारी आंदोलन को लेकर हमला बोला और कहा कि जो लोग संसद, उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर तुले हैं वे असली किसान नहीं हो सकते।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता श्री मोदी ने गुरुवार को ट्वीट किया कि तीनों नये कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक लगा कर उच्चतम न्यायालय ने आंदोलनकारी किसानों का भरोसा जीतने की अब तक की सबसे बड़ी कोशिश की लेकिन अराजकता प्रेमी विपक्ष और किसान नेताओं ने अदालत की पहल से बनी विशेषज्ञ समिति को मानने से इनकार कर गतिरोध के तिल को पहाड़ बना दिया।

सुशील मोदी ने कहा कि किसान ट्रैक्टर रैली निकाल कर राजधानी में गणतंत्र दिवस की परेड में भी विघ्न डालना चाहते हैं जबकि यह परेड कभी भाजपा या किसी सत्तारूढ़ दल का कार्यक्रम नहीं रही। उन्होंने कहा कि जो लोग संसद, सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय पर्व की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर तुले हैं वे असली किसान नहीं हो सकते।

बीजेपी नेता ने कहा कि मकर संक्रांति भारत जैसे कृषि प्रधान समाज का ऐसा उत्सव है, जिसे अलग-अलग नाम से देश के हर हिस्से में मनाया जाता है लेकिन दुर्भाग्यवश इस साल विपक्ष के बहकावे में आये पंजाब-हरियाणा के किसानों के एक वर्ग ने संक्रांति के पहले पंजाब में मनाई जाने वाली लोहड़ी उत्सव का भी राजनीतिक दुरुपयोग किया।

सुशील मोदी ने कहा कि लोहड़ी पर पंजाबी मूल के लोग अग्नि को नवान्न और तिल अर्पित कर अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट करते हैं, खुशी मनाते हैं। वहीं, आंदोलनकारी किसानों ने नये कृषि कानून की प्रतियां जलाकर भारतीय संसद का अपमान किया है।

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