पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अभी करीब तीन महीने का वक्त बाकी है. चुनाव का वक्त नजदीक आने के साथ सियासत भी गरमाई हुई है. बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में सीधी टक्कर है. ऐसे में टीएमसी ने कांग्रेस और वामदलों को बीजेपी के खिलाफ गठबंधन करने की अपील की थी लेकिन इस अपील को इन दलों ठुकरा दिया.
टीएमसी ने अपील की थी कि बीजेपी की ‘सांप्रदायिक और विभाजनकारी’ राजनीति के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस और वाम मोर्चा दोनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ दें. टीएमसी के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस दोनों बीजेपी के खिलाफ खड़ी हैं तो उनको भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए. ममता बनर्जी ही बीजेपी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं.’
वहीं, टीएमसी की इस अपील को मानने से दोनों दलों ने इनकार कर दिया. कांग्रेस ने तो टीएमसी को यहां तक पेशकश कर डाली है कि वह बीजेपी के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने के स्थान पर अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर ले. बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘हमको टीएमसी के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं. पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदती रही और अब गठबंधन में टीएमसी की दिलचस्पी क्यों.’ चौधरी ने कहा, ‘ममता अगर बीजेपी के खिलाफ लड़ने लड़ना चाहती हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है.’
उधर, टीएमसी के इस प्रस्ताव पर माकपा ने सवाल खड़े किए हैं. माकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘वाम मोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार देने के बाद उनके साथ टीएमसी गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है.’ इस दौरान उन्होंने दावा किया बीजेपी भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने आगे कहा, ‘यह दिखाता है कि वाम मोर्चा अभी भी महत्वपूर्ण है. वाम मोर्चा और कांग्रेस मिलकर विधानसभा चुनाव में टीएमसी और बीजेपी दोनों को हराएंगे.’