कृषि कानूनों को लेकर एक ओर जहां किसान अपनी मांग पर डटे हैं, वहीं विपक्ष भी सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर उच्चतम न्यायालय में दिए हलफनामे में यह झूठ बोला है कि इन कानूनों के संदर्भ में उसने संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श किया था। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया कि देश की सर्वोच्च अदालत के समक्ष गलत तथ्य देने के कारण अवमानना का भी मामला बनता है। उन्होंने आरटीआई आवेदनों से मिली जानकारी का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार ने बरगलाने और झूठ बोलने का काम किया है। उसने हाल ही में एक हलफनामा दायर कर कहा कि कानून बनाने से पहले लोगों की राय ली गई थी, जबकि ऐसा नहीं किया गया।
सिंघवी ने कहा है कि 11 दिसम्बर और 15 दिसम्बर को सूचना के अधिकार के तहत इन तीनों कानूनों को लेकर जनता से परामर्श मांगें जाने के बारे में जब सरकार से जानकारी मांगी गयी तो जवाब में कहा गया है कि उसके पास इससे जुड़े दस्तावेज नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने इस बारे में कोई विचार विमर्श किसी से नहीं किया और अध्यादेश को आनन-फानन में संसद से पारित करा दिया। मामला उच्चतम न्यायालय गया तो सरकार ने गलत तथ्य देकर न्यायालय की अवमानना की और जनता के साथ धोखा किया और संसद में इस कानून को जल्दबाजी कर पारित किया गया। बहरहाल मोदी सरकार अब इस मामले में बुरी तरह से घिरती जा रही है.
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