भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजा वाद के स्थान पर ईमानदारी तथा प्रदर्शन को जगह दी जा रही है। यह बात प्रधानमंत्री ने एनवाईपीएफ (NYPF) यानी राष्ट्रीय युवा संसद के समापन समारोह के दौरान कही। इस दौरान उन्होंने देश के युवाओं को परिवार आधारित राजनीति को समाप्त करने तथा लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा के लिए आगे का आह्वान किया।
स्वामी विवेकानंद की 158वीं जयंती पर के मौके पर संसद के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित दो दिवसीय एनवाईपीएफ के समापन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि देश को नई पीढ़ी को नेतृत्व देने के लिए तैयार होने की आवश्यकता है। इस मौके पर केन्द्रीय कक्ष में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और केन्द्रीय खेल एवं युवा मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू मौजूद थे।
मोदी ने कहा, “पहले देश में ये धारणा बन गई थी कि अगर कोई युवक राजनीति की तरफ रुख करता था, तो घर वाले कहते थे कि बच्चा बिगड़ रहा है, क्योंकि राजनीति का मतलब ही बन गया था- झगड़ा, फसाद, लूट-खसोट, भ्रष्टाचार। लोग कहते थे कि सब कुछ बदल सकता है, लेकिन सियासत नहीं बदल सकती। लेकिन आज राजनीति में ईमानदार लोगों को भी मौका मिल रहा है। ईमानदारी एवं प्रदर्शन आज की राजनीति की पहली अनिवार्य शर्त होती जा रही है। भ्रष्टाचार जिनकी विरासत थी, उनका भ्रष्टाचार ही आज उन पर बोझ बन गया है। वो लाख कोशिशों के बाद भी इससे उभर नहीं पा रहे हैं।”
पीएम ने कहा, “बीते दिनों में भाई भतीजावाद की राजनीति देखी गई। यह अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। अभी भी कुछ लोग हैं जो अपने परिवार की स्थिति को बचाने के लिए ही राजनीति कर रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए ‘मेरा परिवार मेरा हित’ पहले आता है, ‘देश सर्वोपरि’ बाद में। भारत के युवाओं को इस परिवार आधारित राजनीति को समाप्त करने की जरूरत है। हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। युवाओं को संसद में लाया जाना जरूरी है और हमें अगली पीढ़ी को देश के भविष्य का नेतृत्व देने के लिए तैयार होने की आवश्यकता है।”
उन्होंने कहा कि जो समाज संकटों में भी प्रगति के रास्ते बनाना सीख लेता है, वो समाज अपना भविष्य खुद लिखता है। इसलिए आज भारत और 130 करोड़ भारतवासी अपना उत्तम भविष्य खुद गढ़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि देश भर से आये युवाओं को राष्ट्रीय युवा दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस बार युवा संसद देश की संसद के केन्द्रीय कक्ष में हो रही है। ये केन्द्रीय कक्ष हमारे संविधान के निर्माण का गवाह है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को देश के युवाओं के लिए सदा से प्रेरणादायी बताते हुए कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानी स्वामी विवेकानंद से बहुत प्रभावित थे। जब भी गिरफ्तार किये गये, उन्होंने सदैव स्वामी जी की कृतियों का अनुसरण किया। तब स्वामी जी की शिक्षाओं का मूल्यांकन हुआ कि वे युवाओं में राष्ट्रवाद की भावना के संचार के लिए कितनी प्रभावी हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने एक और अनमोल उपहार दिया है। ये उपहार है, व्यक्तियों के निर्माण का, संस्थाओं के निर्माण का। लोग स्वामी जी के प्रभाव में आते हैं, संस्थानों का निर्माण करते हैं, फिर उन संस्थानों से ऐसे लोग निकलते हैं जो स्वामी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए नए लोगों को जोड़ते चलते हैं। देश की नई शिक्षा नीति को स्वामी विवेकानंद से प्रभावित बताते हुए कहा उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति व्यक्तियों और देश के बेहतर विकास पर केन्द्रित है ताकि देश बेहतर बन सके। यह नीति युवाओं की समझ, उनकी निर्णयों तथा उनके विश्वास को प्राथमिकता देती है। स्वामी विवेकानंद ने मानसिक एवं शारीरिक मजबूती पर बराबर बल दिया। उन्हीं की शिक्षाओं से प्रेरणा लेकर भारत के युवाओं के शारीरिक एवं मानसिक फिटनेस पर ध्यान दिया जा रहा है।
पीएम ने कहा, “स्वामी जी कहते थे, पुराने धर्मों के मुताबिक नास्तिक वो है जो ईश्वर में भरोसा नहीं करता। लेकिन नया धर्म कहता है, नास्तिक वो है जो खुद में भरोसा नहीं करता। ये स्वामी जी ही थे, जिन्होंने उस दौर में कहा था कि निडर, बेबाक, साफ दिल वाले, साहसी और आकांक्षी युवा ही वो नींव है जिस पर राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है। वो युवाओं पर, युवा शक्ति पर इतना विश्वास करते थे।”
उन्होंने कहा कि देश का युवा खुलकर अपनी प्रतिभा और अपने सपनों के अनुसार खुद को विकसित कर सके, इसके लिए आज एक वातावरण और इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था हो, सामाजिक व्यवस्था हो या कानूनी बारीकियां, हर चीज में इन बातों को केंद्र में रखा जा रहा है।
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