सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाते हुए मोदी सरकार को झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट में किसानों के आंदोलन को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इन कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी है। ये रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है जिनमें कृषि विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ होंगे। ये कमेटी किसानों की आपत्तियों पर विचार करेगी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में भूपिंदर सिंह मान (अध्यक्ष बेकीयू), डॉ प्रमोद कुमार जोशी (अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) और अनिल घनवट (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल हैं।
किसान संगठनों ने किसानों की समस्याओं को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित समिति से अपने को अलग करते हुए मंगलवार को कहा कि 26 जनवरी के बाद भी उनका आन्दोलन जारी रहेगा।
कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं। गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी। आजतक की खबर के मुताबिक राकेश टिकैत ने कहा कि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश हैं। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने तीन कृषि सुधार कानूनों के लागू होने पर रोक लगा कर सरकार को झटका दिया है। किसानों का संघर्ष जारी है और आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि समिति में जिन चार लोगों के नाम का प्रस्ताव किया गया है, वे पहले से ही इस कानून के पक्ष में लेख लिखते रहे हैं।
किसान नेता बलवंत सिंह राजेवाल ने कहा कि समिति में जिन सदस्यों को शामिल किया गया है, वे सरकार के समर्थक रहे हैं और कानूनों को सही ठहराते रहे हैं। किसान नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि किसानों के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने के लिए समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों का आन्दोलन शांतिपूर्ण और अनिश्चितकालीन है।
किसान नेता रमिन्दर पटियाल ने कहा कि किसान संगठनों का 26 जनवरी का कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा। उन्होंने कहा कि तीन कृषि सुधार कानूनों को संसद ने बनाया है, इसलिए इसे सरकार को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की लड़ाई सरकार से है।
एक अन्य किसान सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि किसान समिति का हिस्सा नहीं होंगे। उन्होंने न्यायालय पर विश्वास जताते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए गठित समिति पर उन्हें विश्वास नहीं है।
उल्लेखनीय है कि किसान संगठन तीन कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमरओं पर पिछले 48 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों के साथ सरकार की आठ दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन उनकी मुख्य मांगों पर गतिरोध बना हुआ है।
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