कांग्रेस नेता और पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कृषि कानूनों को लेकर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस का रुख साफ किया है। सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज किसानों से बातचीत के लिए चार सदस्यों की कमेटी बनाई है। कमेटी में शामिल 4 लोगों ने सार्वजनिक तौर पर पहले से ही निर्णय कर रखा है कि ये काले क़ानून सही हैं और कह दिया है कि किसान भटके हुए हैं। ऐसी कमेटी किसानों के साथ न्याय कैसे करेगी? ये 3 काले क़ानून देश की खाद्य सुरक्षा पर हमला हैं, जिसके 3 स्तंभ हैं- सरकारी खरीद, एमएसपी, राशन प्रणाली जिससे 86 करोड़ लोगों को 2 रुपये किलो अनाज मिलता है। इसलिए कांग्रेस 3 कृषि क़ानूनों का विरोध तब तक करती रहेगी जब तक मोदी सरकार इन्हें खत्म नहीं कर देती।
प्रवक्ता ने कहा कि न्यायालय किसानों की समस्या को लेकर चिंतित है और किसानों के हित में फैसला दे रहा है। एक दिन पहले ही न्यायालय ने किसानों का मुद्दा नहीं सुलझाने और उन्हें वार्ता में उलझाए रखने के लिए सरकार को फटकार लगायी है। न्यायालय ने आज भी किसानों की समस्या पर चिंता जतायी है और तीनों कृषि कानूनों को अगले आदेश तक स्थगित रखने का फैसला देते हुए किसानों की समस्या के समाधान के लिए समिति बनायी है लेकिन समिति के सभी सदस्य पहले से ही कानूनों का समर्थन करते रहे है।
सुरजेवाला ने कहा कि समिति सरकार के पक्ष में है। समिति के सभी सदस्य सार्वजनिक तौर पर इन तीनों कानूनों का समर्थन करते हैं इसलिए यह समिति किसानों के साथ न्याय नहीं कर सकती है। इसमें शामिल सभी सदस्य सरकार के साथ खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि जो सदस्य बनाए गये है उनमें अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने पहले कहा है कि यह तीनों कानून सही हैं और किसान भटक गये है। उन्होंने एक लेख में कानूनों को सही बताते हुए कहा है कि किसान तथा विपक्षी दल कानून को समझ नहीं पा रहे हैं। समिति में दूसरे सदस्य पी के जोशी ने भी न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी का विरोध किया है और कहा है कि एमएसपी नहीं होना चाहिए। उन्होंने एक लेख में कहा कि किसान की सोच सही नहीं है और वे भटक कर आंदोलन पर उतर आए हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि समिति के तीसरे सदस्य अनिल धनवंत का कहना है कि यह तीनों कानून सही हैं और इससे ही किसानों को आजादी मिलेगी। वह एक संगठन भी चलाते हैं और उनका संगठन इन कानूनों के समर्थन में प्रदर्शन भी करता रहा है। समिति के चौथे सदस्य सरकारी समन्वय समिति के सदस्य भूपेंद्र सिंह मान है और एक ज्ञापन देकर कहा है कि यह तीनों कानून सहीं हैं और उन्हें लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि ये तीनों कानून देश के संविधान तथा प्रांतों के अधिकारों पर कुठाराघात है इसलिए तीनों कानूनों को खत्म किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करना चाहती है इसलिए वह कृषि विरोधी कानून लेकर आयी है। किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहा है लेकिन सरकार उसे भटकाने का प्रयास कर रही है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज मोदी सरकार के द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। सीजेआई शरद अरविन्द बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाई है। साथ ही चार सदस्य कमेटी का गठन कर दिया है। यह कमेटी सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी। सुप्रीम कोर्ट ने जिस कमेटी का गठन किया है। उसमें भारतीय किसान यूनियन के भूपेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल घनवंत शामिल हैं। ये कमेटी सरकार और किसानों के बीच कानूनों पर जारी विवाद को समझेगी और अपनी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को ही सौंपेगी। जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आयेगी तबतक कृषि कानूनों के अमल पर रोक रहेगी।
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