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राष्ट्रीय

सरकार तथा किसानों के बीच आज नौवें दौर की वार्ता, कानूनों को लागू करने का फैसला राज्यों पर छोड़ सकता है केंद्र

तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 44वां दिन है। इस बीच सरकार तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच आज  9वें दौर की बातचीत होगी। किसान तीनों कृषि कानून रद्द करने तथा एमएसपी (MSP) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर अगल से कानून बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं। किसानों ने गुरुवार को दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकालकर ताकत दिखाई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज सरकार कृषि कानूनों को लागू करने का फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ सकती है।

डेरा नानकसर के मुखी बाबा लक्खा सिंह ने गुरुवार को मध्यस्थ के तौर पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी। इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार कृषि कानूनों को लागू करने का फैसला अब राज्य सरकारों पर छोड़ सकती है। सूत्रों मिला जानकारी के अनुसार तोमर ने ने बाबा लक्खा सिंह को बताया कि सरकार अब एक प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसमें राज्य सरकारों को कृषि कानून लागू करने या न करने की छूट दी जाएगी।

आपको बता दें कि डेरा नानकसर भी किसान आंदोलन में शामिल है। तोमर से मिलाकात के बाद बाबा लक्खा सिंह ने बताया कि मैंने कृषि मंत्री से कहा कि यदि आप की बात किसी मुद्दे पर खत्म नहीं होती, तो क्या आप उन स्टेट को कानूनों से बाहर रख सकते हैं, जिनमें काफी विरोध है। उन्होंने बताया कि तोमर ने इस बात पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर किसानों से बात करने को तैयार हैं। यानी जो राज्य कानून को लागू करना चाहें, वह करें और जो नहीं चाहते वे नहीं करें।

उधर, पंजाब में बीजेपी नेताओं के घेराव और हमले को लेकर पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह ज्याणी और हरजीत सिंह ग्रेवाल ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता जताई। आपको बता दें कि पहले प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अश्विनी शर्मा पर हमला हुआ, फिर पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद के घर पर प्रदर्शनकारियों ने  ट्रॉली भर गोबर फेंक दिया था।

कब-कब हुई सरकार तथा किसानों के बीच वार्ता

14 अक्टूबर पहला दौरः 14 अक्टूबर की बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। किसानों ने साफ कहा कि वे कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते हैं।

13 नवंबर दूसरा दौरः 13 नवंबर को सरकार तथा किसानों के बीच दूसरे दौरे की बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। करीब 7 घंटे तक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला।

01 दिसंबर तीसरा दौरः सरकार तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच तीसरे दौर की बातचीत हुई। करीब तीन घंटे तक चली बैठक के दौरान सरकार ने विशेषज्ञ समिति बनाने का सुझाव दिया। वहीं किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे। बैठक बेनतीजा रही।

03 दिसंबर चौथा दौरः03 दिसंबर को किसानों तथा सरकार के बीच तीन दिसंबर को चौथे दौर की वार्ता हुई। करीब साढ़े सात घंटे तक चली बातचीत के दौरान सरकार ने वादा किया कि एमएसपी (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। वहीं किसानों ने कहा कि सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

05 दिसंबर 5वां दौरः पांच दिसंबर को हुई पांचवें दौर की वार्ता के दौरान सरकार एमएसपी (MSP) पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

08 दिसंबर 6वां दौरः तीन केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसानों ने इस दिन भारत बंद का आह्वान किया था। इसी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बैठक की। इसके अगले दिन यानी 09 दिसंबर को सरकार ने किसानों के पास 22 पेज का प्रस्ताव दिया, जिसे किसान संगठनों ने ठुकरा दिया।

30 दिसंबर 7वां दौर: 30 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच सातदवें दौर की वार्ता हुई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इस वार्ता में दो मुद्दों पर मतभेद कायम रहे, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।
04 जनवरी 2021 8वां दौर: नये साल में चार जनवरी को सरकार तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच आठवें दौर की वार्ता हुई। लगभग चार  घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। बैठक की समाप्ति के बाद तोमर ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।

 

 

Shobha Ojha

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