Farmers Protest
फोटो: सोशल मीडिया

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार लगातार घिरती जा रही है. किसान संगठनों के साथ-साथ विपक्ष भी सरकार पर हमलावर है. करीब डेढ़ महीने से किसान दिल्ली की दहलीज पर धरना दे रहे हैं. किसानों की मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों को तुरंत निरस्त किया जाए. लेकिन सरकार ने साफ कह दिया है कि कानून किसी भी हाल में वापस नहीं लिए जाएंगे. आज शुक्रवार (8 जनवरी) को किसान संगठनों की केंद्र के साथ 9वें दौर की वार्ता हुई लेकिन पहले की तरह ही इस बार भी सहमति नहीं बन पाई. अब अगली वार्ता 15 जनवरी को होगी.

बता दें कि विज्ञान भवन में आयोजित इस बैठक में 40 किसान संगठनों के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश मौजूद थे. खास बात है कि इससे पहले सरकार और किसानों के बीच हो चुकी 8 बार की बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला है. हालांकि, 30 दिसंबर को हुई मुलाकात में पराली जलाने और विद्युत सब्सिडी को लेकर दोनों पक्षों में सहमति बन चुकी है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बैठक में वार्ता ज्यादा नहीं हो सकी और अगली तारीख उच्चतम न्यायालय में इस मामले में 11 जनवरी को होने वाली सुनवाई को ध्यान में रखते हुए तय की गई है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय किसान आंदोलन से जुड़े अन्य मुद्दों के अलावा तीनों कानूनों की वैधता पर भी विचार कर सकता है. सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के 41 सदस्यीय प्रतिनिधियों के साथ आठवें दौर की वार्ता में सत्ता पक्ष की ओर से दावा किया गया कि विभिन्न राज्यों के किसानों के एक बड़े समूह ने इन कानूनों का स्वागत किया है. सरकार ने किसान नेताओं से कहा कि उन्हें पूरे देश का हित समझना चाहिए.

आपको बता दें कि करीब एक घंटे की वार्ता के बाद किसान नेताओं ने बैठक के दौरान मौन धारण करना तय किया और इसके साथ ही उन्होंने नारे लिखे बैनर लहराना आरंभ कर दिया. लिहाजा, तीनों मंत्री आपसी चर्चा के लिए हॉल से बाहर निकल आए. एक सूत्र ने बताया कि तीनों मंत्रियों ने दोपहर भोज का अवकाश भी नहीं लिया और एक कमरे में बैठक करते रहे. आज की बैठक शुरु होने से पहले तोमर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और दोनों के बीच लगभग एक घंटे वार्ता चली.

वहीं, भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि मोदी सरकार जिद पर अड़ी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार अपने-अपने सेक्रेटरी, जॉइंट सेक्रेटरी को लगा देती है, वे कोई न कोई लॉजिक देते रहते हैं. हमारे पास भी लिस्ट है, फिर भी आपका फैसला है, क्योंकि आप सरकार हैं. राजेवाल ने कहा कि लोगों की बात शायद कम सुनी जाती है, जिसके पास ताकत है, उसकी बात ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि इतने दिनों से बार-बार इतनी चर्चा हो रही है, ऐसा लगता है कि इस बात को निपटाने का आपका मन नहीं है, तो वक्त क्यों बर्बाद करना? किसान नेता ने कहा कि आप साफ-साफ जवाब लिखकर दे दीजिए, हम चले जाएंगे.

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