लव जिहाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। लव जिहाद को लेकर इन दोनोंं राज्य में बने कानूनों की वैधानिकता को चुनौती दी जाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों से बुधवार को जवाब तलब किया।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस वी रमासुब्रमण्यम और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने विशाल ठाकरे तथा अन्य तथा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सितलवाड़ के गैर-सरकारी संगठन ‘सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस’ की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस जारी कियए। हालांकि कोर्ट ह संबंधित कानून के उन प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके तहत शादी के लिए धर्म परिवर्तन की पूर्व अनुमति को आवश्यक बनाया गया है। सितलवाड़ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह ने दलील दी कि पूर्व अनुमति के प्रावधान दमनकारी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अध्यादेश के आधार पर पुलिस ने कथित लव जिहाद के मामले में निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया है।
जस्टिस बोबडे ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को संबंधित हाई कोर्ट जाने को कहा, लेकिनसिंह और वकील प्रदीप कुमार यादव की ओर से यह बताए जाने के बाद कि दो राज्यों में यह कानून लागू हुआ है और समाज में इससे व्यापक समस्या पैदा हो रही है। वकीलों ने दलील दी कि मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे अन्य राज्य भी ऐसे ही कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं। इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई को लेकर हामी भरते हुए दोनों राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए।