दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को लेकर ब्रिटिश वैज्ञानिकों का दावा चिंता बढ़ाने वाली है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट पर वैक्सीन फेल हो सकती है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों के इस दावे ने नई बहस छेड़ दी है कि क्या अब तक दुनियाभर में कोरोना की जो वैक्सीन बनी हैं, वे बेकार हो जाएंगी? क्या इन्हें जल्द अपडेट करने की जरूरत पड़ जाएगी। चलिए करते हैं इन सवालों के जवाब तलाशते की कोशिश…
आपको बता दें कि ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका तथा नाइजीरिया सहित विश्व कई देशों में कोविड-19 के नए वैरिएंट्स सामने आए हैं, जो पहले वाले वायरस से ज्यादा घातक हैं तथा उससे 70 प्रतिशत तेज गति से फैलते हैं। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने हाल ही में कहा था कि दक्षिण अफ्रीका में मिला कोरोना नया वैरिएंट चिंताएं पैदा कर रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार हैंकॉक की चिंता का कारण ब्रिटिश सरकार के सरकार के एक साइंटिफिक एडवाइजर की चेतावनी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना के दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट पर वैक्सीन फेल हो सकती है।
क्यों है वैज्ञानिकों को फिक्र करने की जरूरत है?
दरअसल दक्षिण अफ्रीका ने 18 दिसंबर को घोषणा की थी कि उसके तीन राज्यों में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट 501Y.V2 के मामले सामने आए हैं, जिसने वैज्ञानिकों को अलर्ट कर दिया है। अफ्रीकी सरकार के अनुसार कोरोना के नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में बहुत ज्यादा बदलाव हुए हैं। आपको बता दें कि वायरस स्पाइक प्रोटीन का ही इस्तेमाल करके ही इंसानों को संक्रमित करता है। यह काफी तीव्र गति से फैलता है। अब तक विश्व के चार से ज्यादा देशों में इस स्ट्रेन के मामले सामने आए हैं।
अमेरिका की दवा निर्माता कंपनी फाइजर के साथ कोविड वैक्सीन डेवलप करने वाली जर्मन कंपनी बायोएनटेक के सीईओ उगुर साहिन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के प्रोफेसर जॉन बेल का कहना है कि हम कोरोना के नए वैरिएंट्स पर वैक्सीन का टेस्ट कर रहे हैं, लेकिन छह हफ्ते बाद ही हम इस पर कुछ कहने की स्थिति में होंगे। आपको बता के कि बेल ब्रिटिश सरकार की वैक्सीन टास्क फोर्स के एडवाइजर भी हैं। बेल का कहना है कि इस बात पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लगा हुआ है कि यह वैक्सीन दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन पर भी कारगर रहेगी या नहीं?
क्या भारत को भी फिक्र करने की जरूरत है?
इस सवाल का जवाब हां में दिया जा सकता है क्योंकि भारत में मंगलवार तक ब्रिटेन में पाए गए कोरोना के नए स्टेन के 58 मामले सामने आ चुके हैं। भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना का नया स्ट्रेन के मामले भारत ही नहीं बल्कि 34 देशों में देखे गए हैं।
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