Covaxin
कोवैक्सीन पर सवाल! (फोटो: EPA)

देश में स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को लेकर घमासान मचा है. इस पर सवाल उठ रहे हैं. इसकी वजह है कि कोवैक्सीन ने अभी तीसरे चरण का ट्रायल पूरा नहीं किया और उसे आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है.

देश के औषधि नियामक (DCGI) ने रविवार (3 जनवरी) को ‘कोविशील्ड’ के साथ ही स्वदेश विकसित ‘कोवैक्सीन’ के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गई. लेकिन ‘कोवैक्सीन’ की प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर पर्याप्त डाटा अभी तक सार्वजनिक नहीं हुए. जिससे अब बहस छिड़ गई है और इस पर जमकर राजनीति भी हो रही है.

कोवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दिए जाने के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोवैक्सीन का अभी तक तीसरे चरण का ट्रायल नहीं हुआ है, बिना सोच-समझे अनुमति दी गई है जो कि ख़तरनाक हो सकती है.

उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को टैग करते हुए लिखा, “डॉक्टर हर्षवर्धन कृपया इस बात को साफ़ कीजिए. सभी परीक्षण होने तक इसके इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए. तब तक भारत एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन के साथ शुरुआत कर सकता है.”

शशि थरूर का यह ट्वीट करना ही था कि देश में वैक्सीन पर राजनीतिक बयानबाज़ियां सामने आने लगीं. कांग्रेस नेता जयराम रमेश और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कोवैक्सीन को लेकर सवाल खड़े किए.

इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कोवैक्सीन के समर्थन में मोर्चा खोल दिया. उन्होंने तर्क तो दिए लेकिन कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़ों का ज़िक्र नहीं किया.

उन्होंने लिखा कि पूरी दुनिया में वैक्सीन को जिन एनकोडिंग स्पाइक प्रोटीन के आधार पर अनुमति दी जा रही है जिसका असर 90 फ़ीसदी तक है वहीं कोवैक्सीन में निष्क्रिय वायरस के आधार पर स्पाइक प्रोटीन के अलावा अन्य एंटीजेनिक एपिसोड होते हैं तो यह सुरक्षित होते हुए उतनी ही असरदार है जितना बाक़ियों ने बताया. इसके साथ ही डॉक्टर हर्षवर्धन ने बताया कि कोवैक्सीन कोरोना वायरस के नए वैरिएंट पर भी असरदार है.

हर्षवर्धन  ट्वीट में लिखा, “जो अफ़वाहें फैला रहे हैं वे जान लें कि क्लीनिकल ट्रायल मोड में कोवैक्सीन के लिए ईयूए सशर्त दिया गया है. कोवैक्सीन को मिली ईयूए कोविशील्ड से बिलकुल अलग है क्योंकि यह क्लीनिकल ट्रायल मोड में इस्तेमाल होगी. कोवैक्सीन लेने वाले सभी लोगों को ट्रैक किया जाएगा उनकी मॉनिटरिंग होगी अगर वे ट्रायल में हैं.”

वहीं कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटैक के चेयरमैन कृष्ण इल्ला ने बयान जारी किया है, “हमारा लक्ष्य उन आबादी तक वैश्विक पहुंच प्रदान करना है, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है.”

उन्होंने बयान में कहा, “कोवैक्सीन ने अद्भुत सुरक्षा आंकड़े दिए हैं जिसमें कई वायरल प्रोटीन ने मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दी है.” उन्होंने कहा है हम 200 प्रतिशत ईमानदार हैं.

हालांकि, कंपनी और डीसीजीआई ने भी कोई ऐसे आंकड़े नहीं दिए हैं जो बता पाएं कि वैक्सीन कितनी असरदार और सुरक्षित है लेकिन समाचार एजेंसी रॉयटर्स से एक सूत्र ने बताया कि इस वैक्सीन की दो ख़ुराक का असर 60 फ़ीसदी से अधिक है.

वहीं, दिल्ली एम्स के प्रमुख डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा है कि वो आपातकालीन स्थिति में कोवैक्सीन को एक बैकअप के रूप में देखते हैं और फिलहाल कोविशील्ड मुख्य वैक्सीन के रूप में इस्तेमाल होगी.

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