प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उत्पाद की गुणवत्ता से ही ताकत बढ़ेगी। मोदी ने सोमवार यह बातें एनएमसी (NMC) यानी नेशनल मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव का उद्घाटन के मौके पर कही। उन्होंने कहा कि मेड इन इंडिया की वैश्विक विश्वसनीयता भी जरूरी है। उत्पाद की गुणवत्ता से ही ताकत बढ़ेगी। मोदी ने आज नेशनल एन्वायरमेंटल स्टैंडर्ड लैब, नेशनल एटॉमिक टाइमस्केल और भारतीय निर्देशक द्रव्य की शुरुआत भी की।
इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नए दशक में ये शुभारंभ देश का गौरव बढ़ाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि नया साल एक और बड़ी उपलब्धि लेकर आया। वैज्ञानिकों ने एक नहीं दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार करने में सफलता पाई है। देश में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होने जा रहा है। आइए एक जनकर डालते हैं मोदी के संबोधन की बड़ी बातों पर….
सीएसआईआर-एनपीएल (CSIR-NPL) यानी वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला- ने देश से साइंटिफिक इवैल्यूशन में अहम रोल निभाया है।
पीएम ने कहा कि सीएसआईआर एक तरह से भारत का टाइमकीपर है। इस दशक में भारत को अपने स्टैंडर्ड्स को नई गति देनी होगी। हमारी सर्विसेज की क्वालिटी हो, सरकारी हो या प्राइवेट, क्वालिटी स्टैंडर्ड्स तय करेंगे कि भारतीय प्रोडक्ट्स की ताकत दुनिया में कितनी बढ़े। कोई भी रिसर्च माप और नाप के बिना आगे नहीं बढ़ सकती। इसलिए मेट्रोलॉजी, मॉर्डेनिटी की आधारशिला है। मेट्रोलॉजी हमारे लिए मिरर जैसी है।
Indian scientists have developed two 'Made in India' #COVID19 vaccines. We will soon start the world's largest vaccination drive: Prime Minister @narendramodi pic.twitter.com/iVvcYgc0JV
— PIB India (@PIB_India) January 4, 2021
उन्होंने अपने संबोधन के दौरान मेड इन इंडिया की वकालत करते हुए कहा कि हमें दुनिया को भारतीय उत्पादों से भरना नहीं है, हमें हर कोने में लोगों का दिल जीतना है। मेड इन इंडिया की न केवल ग्लोबल डिमांड, बल्कि ग्लोबल क्रेडिबिलिटी हो।
मोदी ने कहा कि प्रगतिशील समाज में रिसर्च जीवन का सहज स्वभाव भी होता है। इसके प्रभाव कमर्शियल और सोशल होते हैं। कई बार रिसर्च करते समय यह अंदाजा नहीं होता कि भविष्य में वो किस काम आएगी। लेकिन ज्ञान का भंडार कभी बेकार नहीं जाता। जैसे आत्मा नहीं मरती, वैसे ही रिसर्च कभी नहीं मरती।
पीएम ने कहा कि आज जीवन का कोई हिस्सा नहीं है, जहां बिना बिजली के गुजारा हो। एक सेमी कंडक्टर के अविष्कार से दुनिया कितनी बदल गई। आने वाला भविष्य आज से बिल्कुल अलग होगा। बीते 6 साल में देश ने इसके लिए फ्यूचर रेडी इकोसिस्टम बनाने पर काम किया। देश में आज बेसिक रिसर्च पर जोर दिया जा रहा है। आज भारत में इंडस्ट्री और इंस्टीट्यूशंस के बीच संबंध मजबूत किया जा रहा है। आज भारत के युवाओं के पास रिसर्च में अपार संभावनाएं हैं।