GST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर व्यापारियों के प्रमुख राष्ट्रीय संगठन ‘कैट’ का बड़ा बयान सामने आया है। कैट ने इस कर प्रणाली को ‘औपनिवेशिक कर व्यवस्था’ बताया है। कैट ने कहा है कि हाल में किये गये विभिन्न संशोधनों और नियमों के कारण यह कर प्रणाली व्यापारियों के लिए परेशानी बन गई है।

कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मुद्दे पर चर्चा की माँग करते हुये आज कहा कि जीएसटी को अच्छे एवं सरल कर के रूप में प्रचारित किया गया था, लेकिन वास्तव में यह देश में कारोबार की परिस्थितियों से कोसों दूर है और अब व्यापारियों पर बोझ बन चुका है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया और राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जीएसटी को लागू हुये चार साल हो चुके हैं, लेकिन जीएसटी पोर्टल में अब भी काफी दिक्कतें हैं। नियमों में लगातार हो रहे बदलावों के अनुरूप समय पर वेबसाइट में बदलाव नहीं हो पा रहा है। अब तक राष्ट्रीय अपीलीय प्राधिकरण का गठन भी नहीं किया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य अपने हिसाब से नियमों की व्याख्या कर रहे हैं जिससे ‘एक देश एक कर’ की अवधारणा खंडित हो रही है। जीएसटी के अधिकारी अनुपालना कराने पर अधिक ध्यान दे रहे हैं और यह नहीं समझ रहे कि देश के ज्यादातर व्यापारी अब भी कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
कैट ने आरोप लगाया कि हाल में किये गये संशोधनों से जीएसटी अधिकारियों को किसी भी व्यापारी का पंजीकरण बिना किसी नोटिस के रद्द करने का अधिकार मिल गया है। यह अटपटा है। इस अधिकार का गलत इस्तेमाल हो सकता है। जीएसटी के लागू होने से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक कुल 927 अधिसूचनाएँ जारी कर नियमों में बदलाव किये गये हैं। इससे व्यापारियों के लिए अनुपालना कठिन हो गई है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज यहाँ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग संस्थान तथा अटल बिहारी वाजपेयी प्रबंधन एवं उद्यमिता संस्थान की आधारशिला रखी । इस मौके पर उन्होंने कहा कि कुलपति एम जगदीश कुमार की दूरदृष्टि की वजह से ही पिछले पांच वर्षों में जेएनयू में कई नए अकादमिक संस्थानों का प्रारम्भ किया गया है जिनसे हमारे देश की युवा पीढ़ी को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा और उन संस्थानों में से यह दो संस्थान आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक अहम भूमिका निभाएंगे।

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