कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन की तुलना गांधी जी के नेतृत्व में हुए चंपारण किसान आंदोलन से की है और कहा कि वे तब ही लौटेंगे जब उनकी मांग पूरी हो जाएगी।
राहुल ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान भी चंपारण के किसानों की तरह सत्याग्रही है और ये पक्के सत्याग्रही मांग पूरी होने तक सत्याग्रह नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने रविवार को ट्वीट कर कहा, “ देश एक बार फिर चंपारण जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है। तब अंग्रेज कम्पनी बहादुर थी, अब मोदी-मित्र कम्पनी बहादुर हैं , लेकिन आंदोलन का हर एक किसान-मज़दूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।”
आपको बता दे कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में बिहार के चंपारण में अप्रैल 1917 में ऐतिहासिक किसान आंदोलन हुआ था। गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में आजमाए सत्याग्रह और अहिंसा के अपने रास्ते का स्वदेश में पहला प्रयोग चंपारण में ही किया था तथा अंग्रेज सरकार को उनके सत्याग्रह के आगे झूकना पड़ा था।
देश एक बार फिर चंपारन जैसी त्रासदी झेलने जा रहा है।
तब अंग्रेज कम्पनी बहादुर था, अब मोदी-मित्र कम्पनी बहादुर हैं।
लेकिन आंदोलन का हर एक किसान-मज़दूर सत्याग्रही है जो अपना अधिकार लेकर ही रहेगा।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 3, 2021