प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (30 दिसंबर) को मंत्रिमंडल (कैबिनेट) की बैठक हुई। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। इस बैठक में भारत और भूटान के बीच 19 नवंबर, 2020 को अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग पर हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) और उसके आदान-प्रदान को मंजूरी स्वीकृति दे दी है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस एमओयू से उपग्रह संचार और उपग्रह आधारित नौवहन, अंतरिक्ष विज्ञान और ग्रहों की खोज, अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष प्रणालियों और भू प्रणाली के उपयोग, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसे संभावित हित वाले क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना संभव होगा।
इस एमओयू के क्रम में भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और भूटान के सूचना और संचार मंत्रालय के सदस्यों के एक संयुक्त कार्यकारी समूह का गठन किया जाएगा, जो कार्यान्वयन की समय सीमा ,और साधनों कार्ययोजना पर काम करेगा। इस एमओयू के माध्यम से भूटान सरकार के साथ सहयोग से मानवता के हित के लिए अंतरिक्ष तकनीक के उपयोग के क्षेत्र में संयुक्त गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। भारत और भूटान औपचारिक अंतरिक्ष सहयोग कायम करने पर विचार विमर्श करते रहे हैं। नवंबर, 2017 में अंतरिक्ष सहयोग के लिए अंतर सरकार एमओयू के प्रस्ताव को भूटान के सामने रखा गया था। फरवरी, 2020 में द्विपक्षीय बैठक के दौरान अन्य सहयोग प्रस्तावों के साथ ही इस मसौदे पर भी विचार विमर्श किया गया था।
राजनयिक स्तर पर कुछ वार्ताओं के बाद दोनों पक्षों में एमओयू के मसौदे पर सहमति कायम हुई और उसे आंतरिक स्वीकृतियों के लिए आगे बढ़ाया गया। दोनो देशों ने 19 नवंबर, 2020 को एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
आकाश मिसाइल प्रणाली को निर्यात करने की मंजूरी-
सरकार ने आकाश मिसाइल प्रणाली को निर्यात करने की मंजूरी प्रदान करते हुये निर्यात की मंजूरी में तेजी लाने के लिए एक समिति भी बना दी है।
आत्मनिर्भर भारत के तहत, भारत विभिन्न प्रकार के रक्षा प्लेटफार्मों और मिसाइलों के निर्माण में अपनी क्षमताओं में वृद्धि कर रहा है। आकाश देश की महत्वपूर्ण मिसाइल है,जिसका 96 प्रतिशत से अधिक स्वदेशीकरण किया गया है। आकाश सतह से हवा में मार करने वाली एक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 25 किलोमीटर तक है। इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायु सेनातथा 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था।
रक्षा सेवाओं में इसके शामिल होने के बाद, अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/रक्षा प्रदर्शनी/एयरो इंडिया के दौरान कई मित्र देशों ने आकाश मिसाइल में अपनी रुचि दिखाई। मंत्रिमंडल की मंजूरी से विभिन्न देशों द्वारा जारी आरएफआई/आरएफपीमें भाग लेने के लिए भारतीय निर्माताओं को सुविधा मिलेगी।
अब तक, भारतीय रक्षा निर्यातों में पुर्जे/घटक आदि शामिल थे। बड़े प्लेटफार्मों का निर्यात न्यूनतम था। मंत्रिमंडल की इस पहल से देश को अपने रक्षा उत्पादों को बेहतर बनाने और उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। आकाश का निर्यात संस्करण वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बलों में तैनात सिस्टम से भिन्न होगा। आकाश के अलावा, अन्य प्रमुख प्लेटफार्मों जैसे तटीय निगरानी प्रणाली, रडार और एयर प्लेटफार्मों में भी रुचि दिखाई जा रही है। ऐसे प्लेटफार्मों के निर्यात के लिए तेजी से अनुमोदन प्रदान करने के लिए, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की एक समिति गठित की गई है।
यह समिति विभिन्न देशों के लिए प्रमुख स्वदेशी प्लेटफार्मों के निर्यात को अधिकृत करेगी। समिति एक सरकार से दूसरी सरकार द्वारा खरीद सहित विभिन्न उपलब्ध विकल्पों का भी पता लगाएगी।
इन देशों में खुलेंगे भारतीय मिशन-
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन देशों एस्टोनिया, पैराग्वे और डोमिनिकन गणराज्य में भारतीय मिशन खोलने को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिया गया ।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इन तीन देशों में भारतीय मिशन खोलने से भारत का राजनयिक दायरा बढ़ाने, राजनीतिक संबंधों को गहरा करने, द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और आर्थिक जुड़ाव में विकास को सक्षम करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इससे बहुपक्षीय मंचों में राजनीतिक पहुंच को बढ़ावा देने और भारत के विदेश नीति उद्देश्यों के लिए समर्थन जुटाने में भी मदद मिलेगी। साथ ही इन देशों में भारतीय मिशन वहां के भारतीय समुदाय और उनके हितों की रक्षा करने में बेहतर तरीके से सहायता कर पाएंगे।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा, “हमारी विदेश नीति का उद्देश्य मित्र देशों के साथ साझेदारियों के जरिए भारत की तरक्की और विकास के लिए एक अनुकूल माहौल बनाना है। मौजूदा समय में पूरी दुनिया में भारतीय मिशन और पोस्ट हैं जो साझेदार देशों के साथ हमारे संबंधों के वाहकों के तौर पर काम करते हैं।”