लद्दाख में पिछले की महीनों से भारत-चीन के बीच तनाव जारी है. दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है. लेकिन कोई हल नहीं निकला. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने हैं. ऐसे में भारत के वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने चीन कड़ी चेतावनी दी. उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि भारत से टकराव चीन के लिए वैश्विक मोर्चे पर अच्छा नहीं है. यदि चीन की आकांक्षाएं वैश्विक हैं तो ये उनकी भव्य योजनाओं को सूट नहीं करतीं. एयर चीफ मार्शल ने चीन को ये संदेश एक कार्यक्रम के दौरान दिया.
भारतीय वायु सेना प्रमुख ने कहा कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारी संख्या में चीन के सैनिक तैनात हैं. उनके पास रडार, सतह से हवा में मार करने वाली और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल की बड़ी मौजूदगी है. उनकी तैनाती मजबूत रही है, लेकिन हमने भी सभी आवश्यक कार्रवाई की है.
दरअसल, भारत और चीन के बीच पिछले 8 महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है. लद्दाख में एलएसी के पास दोनों देशों की सेनाओं की भारी मौजूदगी है. मई के शुरुआती दिनों से ही भारत और चीन में तनाव बना हुआ है. जून के महीने में गलवान घाटी में हिंसक झड़प भी हुई थी. तनाव को कम करने के लिए सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत भी हुई. यही नहीं, दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की भी मुलाकात हुई थी.
आरकेएस भदौरिया ने कहा कि चीन पाकिस्तान को मोहरा बनाकर अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है. अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद से चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए रास्ते खुल गए हैं.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक मोर्चे पर विकसित अनिश्चितताओं और अस्थिरता ने चीन को अपनी बढ़ती शक्ति का प्रदर्शन करने का मौका दिया है और अप्रत्यक्ष रूप से यह वैश्विक सुरक्षा के लिए प्रमुख शक्तियों के अपर्याप्त योगदान को भी सामने लाया है.
वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने आगे कहा कि छोटे देश और अलगाववादियों की मदद से चीन को ड्रोन जैसे कम लागत वाली तकनीक आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे वह प्रतिकूल प्रभाव पैदा करने में सफल हो रहा है. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि यदि कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो भारत को किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए अपनी क्षमता को बनाए रखने की आवश्यकता है.