कृषि कानूनों के विरोध में मोदी सरकार घिरती जा रही है. इसका असर सीधे एनडीए पर होता दिख रहा है. पहले अकाली दल ने साथ छोड़ा और अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) भी अलग हो गई. इसके अलावा किसानों और विपक्षी दलों की ओर से हो विरोध लगातार जारी है. एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) किसानों को समझाने में जुटी है, तो वहीं आरएलपी के नेता हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के बीच कहा कि शिवसेना और अकाली दल पहले ही एनडीए छोड़ चुके हैं और आरएलपी भी अब एनडीए छोड़ रही है.
एनडीए के सहयोगी आरएलपी के राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल ने आज एनडीए छोड़ने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं एनडीए छोड़ने का ऐलान करता हूं.’
इससे पहले बेनीवाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पास 303 सांसद हैं जिस वजह से वह कृषि कानूनों को वापस नहीं ले रही है. 1,200 किलोमीटर दूर राजस्थान के किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं. एनडीए में बने रहने के बारे में उन्होंने कहा कि हरियाणा बॉर्डर के शाहजहांपुर में बैठक के बाद एनडीए में रहने या छोड़ने पर फैसला लिया जाएगा.
बता दें कि आरएलपी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने ऐलान किया था कि किसान आंदोलन के समर्थन में 26 दिसंबर को उनकी पार्टी 2 लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली मार्च करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि उसी दिन यह भी फैसला लिया जाएगा कि अब एनडीए में रहना है या नहीं.
जाट नेता हनुमान बेनीवाल पहले ही किसान आंदोलन के समर्थन में संसद की तीन समितियों की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं. बेनीवाल ने संसद की उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति तथा पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय की परामर्श समिति से इस्तीफा दिया.