Tawang
फोटो: सोशल मीडिया
खादी और  ग्रामोद्योग आयोग ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हजारों साल पुराने शिल्प को पुनर्जीवित करते हुए मोंपा कागज उत्पादन संयंत्र स्थापित किया है। आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने तवांग में शुक्रवार को उत्पादन से संयंत्र की शुरुआत करते हुए कहा कि फिलहाल इसमें 12 लोग काम करेंगे। इनमें 12 महिलाएं और दो पुरुष होंगे, इसकी उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 500 से 600 कागज शीट होगी।
मोंपा कागज बनाने की कला लगभग 1000 वर्ष पुरानी है, लेकिन पिछले 100 वर्षों से यह लुप्त प्राय हो गई है। एक स्थानीय वृक्ष ‘शुगू शेंग’ की छाल से बनने वाला मोंपा कागज हस्तनिर्मित होता था और  जापान, थाईलैंड,  वियतनाम, तिब्बत, चीन और अन्य देशों के बौद्ध मंदिरों में निर्यात किया जाता था, इस कागज पर बौद्ध ग्रंथ और अन्य मंत्र लिखे जाते थे।
उन्होंने शनिवार को यहां कहा कि भविष्य में मोंपा कागज बनाने की और भी इकाइयां स्थापित की जाएंगी। इससे स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार मिलेगा और स्थानीय संसाधनों का सदुपयोग भी हो सकेगा, उन्होंने बताया कि भविष्य में इसमें प्लास्टिक  का मिश्रण भी किया जाएगा जिससे प्लास्टिक कचरे का भी निपटारा हो सकेगा।
सक्सेना ने बताया कि उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए जयपुर के कुमारप्पा राष्ट्रीय हस्त निर्मित कागज संस्थान के विशेषज्ञों का एक दल यहां तैनात किया गया है, यह दल स्थानीय युवाओं को कागज बनाने का प्रशिक्षण भी देगा। आयोग निर्मित कागज को देश और विदेश में बाजार उपलब्ध कराएगा।

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