ISRO
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. के शिवन ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने अपनी प्रत्येक असफलता से सीखा है और अपनी कार्य प्रणाली में लगातार सुधार किया है।
डॉ. शिवन ने काट्टनकुलाथुर में एसआरएम विश्वविद्यालय के 16वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने छात्रों से कहा कि संपूर्ण असफलता से बचने के लिए लगातार अपने द्वारा लिए गए जोखिमों का मूल्यांकन करना चाहिए।
इसरो अध्यक्ष ने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण है कि हमें अपने द्वारा लिए गए जोखिमों का मूल्यांकन करना चाहिए। जब आप अपने जोखिमों का मूल्यांकन करते हैं तब आप संपूर्ण असफलता से बच सकते हैं। आप असफल हो सकते हैं, लेकिन प्रत्येक असफलता आपको कुछ बेहतर सिखाती है।”
न्होंने कहा, “मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव ऐसी असफलताओं के बाद बनी है जिसमें प्रत्येक नाकामयाबी ने हमें अपनी प्रणाली में सुधार करने का अवसर प्रदान किया है।”
डॉ. शिवन ने कहा, “दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज है नवाचार। नवाचार केवल कागज पर लिखा जाने वाला एक बेहतर विचार नहीं हो सकता बल्कि मायने यह रखता है कि आप नवाचार को कैसे लागू करते हैं। नवाचार का विचार असफलता के खतरों को उठाने के बाद ही मिलता है।”
इसरो अध्यक्ष डॉ. शिवन ने कहा कि भारत को सतत, समान और समावेशी विकास वाला राष्ट्र बनाने के लिए हमें उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास की ओर ध्यान देते हुए उसे प्राथमिकता देनी चाहिए।
जी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने के अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए संयुक्त उपक्रम लगाए जाने चाहिए। कर्मचारियों के कौशल को बढ़ाने की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे उन्हें रोजगार के अधिक अवसर मिल सकें।
इसरो अध्यक्ष ने अगले पीएसएलवी प्रक्षेपण के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “ सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र की गतिविधियों में गैर-सरकारी संस्थाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में कई सुधार किए हैं। आगामी पीएसएलवी प्रक्षेपण में स्टार्ट-अप एजेंसियों की ओर से विकसित किए गए उपग्रहों का इस्तेमाल किया जायेगा।”
दूसरी प्राथमिकता विश्वस्तरीय प्रतिभा को आकर्षित कर उन्हें बेहतर प्रशिक्षण देना होनी चाहिए। भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है जिसके लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अति प्रतिभाशाली लोगों की आवश्यकता है।
डॉ शिवन ने डिजिटल इंडिया पहल का उल्लेख करते हुए भारत को डिजिटल रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए इसरो के योगदान के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारत का ध्यान आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी है। हम लगातार ऐसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। यहां तक कि रॉकेट के प्रक्षेपण में भी इसरो ग्रीन प्रोपल्सन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहा है और अगले मानव अंतरिक्ष मिशन में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

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