महामारी के दौरान भी खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन करने के लिए श्री नायडू ने किसानों का अभिनन्दन किया।
किसानों ने भी उपराष्ट्रपति के साथ अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि शुरुआती झिझक के बाद जैविक खेती अपनाने के बाद उनका लाभ भी बढ़ा है, उन्होंने कृषि में विविधीकरण भी किया है। अब ये किसान कृषि की पारंपरिक पद्धति अपना रहे हैं। उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती को तकनीक के साथ मिलाने के बाद, कम लागत पर अधिक पैदावार से उनके लाभ में भी इजाफा हुआ है। उन्होंने बाज़ार की उपलब्धता को सबसे जरूरी बताया।
भेंट करने वाले किसानों में नगर कुरनूल के श्री बायरापक्ष राजू 500 प्रकार के बीज उगाते हैं तथा सोशल मीडिया के माध्यम से अन्य किसानों को भी सलाह देते हैं।
क्षेत्र के ही किसान दम्पत्ती श्रीमती लावण्या रेड्डी तथा रमन रेड्डी जैविक विधि से धान और दलहन की खेती करते हैं और स्वयं ही उसे बेचते भी है। रंगारेड्डी जिले के सुखवासी हरीबाबू फल, सब्जी और औषधीय पौधे उगाते हैं।
इस भेंट के अवसर पर पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित तथा रायथू नेष्ठाम के संपादक  येदलापति वेंकटेश्वर राव भी उपस्थित रहे। इससे पहले किसान दिवस के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी किसानों का अभिनंदन किया और शुभकामनाएं दीं।

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