मोदी सरकार ने राजस्व की बचत, बेहतर समन्वय और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम में फ़िल्म से जुड़ी चार अन्य संस्थाओं का विलय करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने इस फैसले को बुधवार को मंजूरी दी।
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने पत्रकारों को बताया कि मंत्रालय के अंतर्गत फिल्म से जुड़ी चार संस्थाओं का राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम में विलय कर दिया गया है। इनमें फिल्म्स डिविजन राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार, चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी और फिल्म समारोह निदेशालय भी शामिल है ।
उन्होंने कहा, “भारत में 3000 से अधिक फिल्में हर साल बनती हैं और भारत दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता देश है। हमने हमने बेहतर प्रबंधन, कार्यकुशलता और आपसी समन्वय को बढ़ाने के लिए इन सभी संस्थाओं का राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम में विलय करने का निर्णय लिया है। इससे सरकार के राजस्व की भी बचत होगी तथा इन संस्थाओं के आधारभूत ढांचे का भी बेहतर इस्तेमाल होगा। हमने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के मेमोरेंडम का विस्तार कर इन सभी संस्थाओं को इसके दायरे में ला दिया है।”
फिल्म्स डिविजन की स्थापना ऐतिहासिक महत्व की डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए 1948 में हुई थी और यह सूचना प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता है ,जबकि बाल फिल्मों के विकास के लिए चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी की स्थापना 1955 में एक कानून के तहत की गई थी ।राष्ट्रीय फिल्म सभागार की स्थापना 1964 में की गई थी । इसका मक़सद पुरानी फिल्मों का संग्रहण करना था। इसके बाद 1973 में राष्ट्रीय फिल्म समारोह निदेशालय की स्थापना की गई थी जो भारत में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का आयोजन करता रहा था। 1975 में राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम की स्थापना की गई थी। भारतीय सिनेमा उद्योग के लिए यह एक बड़ा फैसला है।