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किस मजहब में हम पले-बढ़े हैं, इससे बड़ी बात ये हैं कि हम कैसे देश की आकांक्षाओं से जुड़ेः मोदी - Prakhar Prahari
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किस मजहब में हम पले-बढ़े हैं, इससे बड़ी बात ये हैं कि हम कैसे देश की आकांक्षाओं से जुड़ेः मोदी

दिल्लीः किस मजहब में हम पले-बढ़े हैं, इससे बड़ी बात ये है कि हम कैसे देश की आकांक्षाओं से जुड़ें। यह बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के शताब्दी कार्यक्रम के दौरान मंगलवार को कहीं। मोदी इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े। मोदी 56 साल में पूर्व लाल बहादुर शास्त्री के बाद AMU में भाषण देने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हैं।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में विश्वविद्यालय के इतिहास, एल्युमिनाई, यहां की रिसर्च और महिला शिक्षा की बात करते हुए सेक्युलरिज्म पर भी विचार रखे। उन्होंने कहा कि हम किस मजहब में पले-बढ़े हैं, इससे बड़ी बात ये है कि हम कैसे देश की आकांक्षाओं से जुड़ें। उन्होंने कहा कि मतभेदों के नाम पर काफी वक्त जाया हो चुका है। अब मिलकर नया आत्मनिर्भर भारत बनाना है।

मोदी के संबोधन की बड़ी बातेंः-

  • मोदी ने नई शिक्षा नीति की बात करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीती में छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है। आज का युवा नई चुनौतियों का समाधान निकाल रहा है। अब स्टूडेंट्स को अपना फैसला लेने की आजादी होगी। उन्होंने कहा कि 2014 में 16 IIT थे, अब 23 हैं। 2014 में 13 IIMs थे, आज 20 हैं। 6 साल पहले तक देश में सिर्फ 7 एम्स थे, आज 22 हैं।
  • पीएम ने युवाओं से मतभेद को भूलाकर देश की आकांक्षाओं से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को मजबूत बनाने के लिए AMU से सुझाव मिलें, तो इससे अच्छा कुछ नहीं होगा। हम कहां और किस परिवार से पैदा हुए, किस मजहब में पले, इससे बड़ा है कि उसकी आकांक्षाएं देश से कैसे जुड़ें। वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन जब बात देश की लक्ष्य प्राप्ति की हो तो सब किनारे रख देना चाहिए।
  • उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि सियासत सोसाइटी का अहम हिस्सा है, लेकिन सोसाइटी में और भी अहम मसले हैं। सियासत से ऊपर भी बहुत कुछ होता है। एक और समाज होता है। बड़े उद्देश्य के लिए हम साथ आते हैं तो हो सकता है कि कुछ लोग परेशान हों। वे अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए हथकंडा अपनाएंगे। पॉलिटिक्स-सोसाइटी इंतजार कर सकती है, डेवलपमेंट इंतजार नहीं कर सकता।
  • लड़कियों की उच्च शिक्षा पर जोर देते हुअ उन्होंने कहा कि AMU में मुस्लिम लड़कियों की संख्या 35% हो गई है। जेंडर के आधार पर भेदभाव न हो, सबको बराबर अधिकार मिले। ये लक्ष्य AMU की संस्थापना में निहित था। पहले कहा जाता था कि एक महिला शिक्षित होती है तो परिवार शिक्षित हो जाता है। बेटियों को ज्यादा से ज्यादा हायर एजुकेशन दिया जाना जरूरी है।
  • मोदी ने कोरोना काल का उल्लेख करते हुए कहा कि कोरोना काल में बिना किसी भेदभाव कोरोनाकाल में 80 करोड़ लोगों को अन्न दिया गया। बिना किसी भेदभाव आयुष्मान योजना शुरू हुई। जो देश का है, वो देश के लोगों को मिलना ही चाहिए।
  • पीएम ने बताया कि मुझे विदेश यात्रा के दौरान यहां के एल्युमिनाई मिलते हैं। वे यहां के कैंपस से हंसी-मजाक और शेरो-शायरी का नया अंदाज लेकर जाते हैं। 100 साल के इतिहास में AMU ने कई लोगों को संवारा है, लोगों को नई सोच दी है। मैं सभी लोगों के नाम लूंगा तो समय कम पड़ जाएगा। AMU की पहचान वो मूल्य रहे हैं, जिन पर सर सैयद अहमद खान ने यूनिवर्सिटी की स्थापना की।
  • उन्होंने कहा कि AMU के कैंपस में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना मजबूत हो, इसी के लिए काम करना है। उर्दू, अरबी और फारसी भाषा पर यहां जो रिसर्च होती है, वो भारत की संस्कृति को नई ऊर्जा देती है। AMU की जिम्मेदारी है, देश की जो अच्छी बातें हैं, जो ताकत है, छात्र वो यहां से लेकर जाएं। संस्थान पर दोहरी जिम्मेदारी है। AMU से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेगा।

आपको बता दें कि एक दिसंबर 1920 को राजपत्र अधिसूचना के बाद मोहम्डन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बन गया था। उसी साल 17 दिसंबर को AMU का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया था। AMU 15 विभागों से शुरू हुआ था। मौजूदा समय में इसमें108 विभाग हैं। लगभग 1200 एकड़ में फैली यूनिवर्सिटी में 300 से ज्यादा कोर्स हैं। यहां आप नर्सरी में एडमिशन लेकर पूरी पढ़ाई कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड 7 कॉलेज, 2 स्कूल, 2 पॉलिटेक्निक कॉलेज के साथ 80 हॉस्टल हैं। यहां 1400 का टीचिंग स्टाफ है और 6000 के करीब नॉन टीचिंग स्टाफ है।

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