केंद्र की मोदी सरकार किसान आंदोलन को लेकर घिरती जा रही है. किसानों की मांग है कि नए कृषि कानूनों को वापस ले लेकिन सरकार के अड़ियल रुख के चलते गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा. दिल्ली सीमा पर किसान डटे हैं. करीब चार हफ्ते पूरे होने को आ रहे लेकिन सरकार टस्स से मस्स नहीं हुई. ऐसे में अब किसानों ने आंदोलन तेज करने का ऐलान कर दिया है. इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से मोदी सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी गई है. किसानों की ओर से घोषणा की गई है कि 21 दिसंबर को भूख हड़ताल पर रहेंगे. इसके बाद 25 से 27 दिसंबर के बीच हरियाणा में राजमार्गों पर टोल वसूली को रोका जाएगा. साथ ही 27 दिसंबर को जिस समय पीएम मोदी का मासिक रेडियो का कार्यक्रम ‘मन की बात’ प्रसारित होगा उस वक्त देश के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ थाली बजाकर विरोध दर्ज कराएंगे.
स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ सभी विरोध प्रदर्शन स्थलों पर किसान सोमवार को एक दिवसीय क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे.
वहीं, भारतीय किसान संघ के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनायेंगे. उन्होंने लोगों से एक दिन के लिए दोपहर का भोजन नहीं पकाने का अनुरोध किया है. टिकैत ने कहा, ‘जब तक बिल वापिस नहीं होगा, एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे. 23 तारीख को किसान दिवस के मौके पर किसान आप से कह रहे हैं कि एक समय का भोजन ग्रहण न करें और किसान आंदोलन को याद करें.’
उधर, भारतीय किसान संघ के नेता जगजीत सिंह डालेवाला ने कहा कि 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ के दौरान, हम लोगों से अपील करते हैं कि जब तक कार्यक्रम चले तब तक अपने घर पर ही रहकर ‘थाली’ बजाए.