प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी क्षेत्र से निवेश बढ़ाने की अपील की और नये कृषि कानूनों का बचाव करते हुये कहा कि इनका फायदा अब किसानों को मिलने लगा है।
मोदी ने उद्योग संगठन एसोचैम की स्थापना के सौ साल पूरे होने के अवसर पर स्थापना सप्ताह समारोक को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुये कहा कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुनिया को भरोसा है। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश आया है। लेकिन साथ ही घरेलू उद्योगों द्वारा निजी निवेश भी बढ़ाने की जरूरत है, खासकर अनुसंधान एवं विकास पर निवेश बढ़ाना आवश्यक है।
महामारी के कारण सरकारी संसाधनों पर बढ़े दबाव के बीच अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए निजी क्षेत्र द्वारा निवेश बढ़ाना जरूरी है। दूसरी ओर निजी क्षेत्र पर भी महामारी की मार पड़ी है जिससे निजी निवेश बढ़ाना बड़ी चुनौती भी है।
उन्होंने कहा “भारत में आरएंडडी (अनुसंधान एवं विकास) पर निवेश बढ़ाये जाने की बहुत जरूरत है। अमेरिका में आरएंडडी पर 70 प्रतिशत निवेश निजी क्षेत्र द्वारा होता है जबकि अपने देश में 70 प्रतिशत निवेश सरकार द्वारा होता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आरएंडडी पर जो निजी निवेश होता है उसका एक बड़ा हिस्सा आईटी, फार्मा और परिवहन क्षेत्र तक सीमित है। कृषि, रक्षा, ऊर्जा, निर्माण जैसे सेक्टरों में हर छोटी-बड़ी कंपनी को आरएंडडी के लिए एक निश्चित हिस्सा तय करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि सरकार प्रोत्साहन दे सकती है, नीतियों में बदलाव कर सकती है, लेकिन सरकार के इस समर्थन को सफलता में बदलने का काम उद्योग जगत कर सकता है। पिछले छह साल में डेढ़ हजार से ज्यादा कानून समाप्त किये गये और दूसरी ओर जरूरी नये कानून बनाये गये हैं। संसद के पिछले मानसून सत्र में पारित कृषि कानूनों का बचाव करते हुये उन्होंने कहा कि छह महीने पहले जो कृषि सुधार किये गये उनके लाभ किसानों को मिलने शुरू हो गये हैं।
मोदी ने कहा कि देश अपनी जरूरतों को पूरा करते हुये दुनिया की मदद करने में भी सक्षम है। कृषि से लेकर फार्मा क्षेत्र तक हमने यह कर दिखाया है। कोविड-काल में भी तमाम मुश्किलों के बावजूद भारत ने ‘फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’ की भूमिका निभाते हुये दुनिया भर में जरूरी दवायें पहुँचाई। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कोविड-19 के टीके के मामले में भी भारत अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ ही दुनिया के दूसरे देशों की उम्मीदों पर भी खरा उतरेगा।
एसोचैम के सदस्यों समेत पूरे उद्योग जगत से उन्होंने देश की स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगाँठ तक देश को नयी ऊँचाई प्रदान करने का लक्ष्य लेकर अगले 27 साल काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस समय दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति की तरफ तेजी से आगे बढ़ रही है। नयी प्रौद्योगिकी के साथ नयी चुनौतियाँ भी आयेंगी और अनेक सरल समाधान भी आयेंगे। आज वह समय है जब हमें योजना भी बनानी है और अमल भी करना है। आने वाले 27 साल भारतीयों के सपनों और समर्पण की परीक्षा लेने वाले हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा “हमारी चुनौती सिर्फ आत्मनिर्भरता ही नहीं है, हम इस लक्ष्य को कितनी जल्दी हासिल करते हैं यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है। भारत की सफलता को लेकर दुनिया में आज जितनी सकारात्मकता है उतनी पहले कभी नहीं रही।
एक जमाने में कहा जाने लगा था ‘भारत क्यों’? अब जो सुधार किये गये हैं, उनका जो प्रभाव दिख रहा है उसके बाद कहा जाने लगा है ‘भारत क्यों नहीं’?”
उन्होंने उद्योग जगत से उन सारे सुधारों को अपनाने की सलाह दी जो वे सरकार से चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक प्रभावी और अनुकूल पारिस्थितिकी तैयार करने के लिए प्रयासरत है। उद्योग के भीतर भी सुधारों को प्रोत्साहित करना होगा। इंडस्ट्री के भीतर भी स्वच्छंदता और समावेश अपनाना होगा। महिलाओं और युवाओं को अवसर प्रदान करना होगा।
मोदी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था और उत्पादों को प्रोत्साहित करने में उद्योग संगठनों की भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताते हुये कहा “हमारी जैविक और औषधीय कृषि उत्पादों को एसोचैम द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। इनका प्रचार-प्रसार कर इनके स्टार्टअप को प्रोत्साहित कर सकते हैं। हमारे कृषि क्षेत्र को बेहतर बुनियादी सुविधायें मिलें, बेहरत बाजार मिले तो हमारी पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुलंदी पर पहुँच सकती है।”