नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण का कहर पूरी दुनिया झेल रही है। भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में इस महामारी ने आफत खड़ी कर दी हैं। भारत में भी संक्रमण का आंकड़ा 1 करोड़ पहुंचने वाला है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सख्त टिप्पणी की है। कोविड-19 महामारी को ‘विश्व युद्ध’ करार देते हुए शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि इसकी रोकथाम को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देशों व मानकों पर अमल नहीं हो रहा, जिसके चलते यह महामारी ‘जंगल की आग’ की तरह फैल रही है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जबकि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 99 लाख 79 हजार 447 हो गए हैं और इस घातक संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 1 लाख 44 हजार 789 हो गई है। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर कर्फ्यू लगाने या लाकडाउन लागू करने जैसे फैसलों के बारे में कहा कि ऐसी कोई भी घोषणा काफी पहले की जानी चाहिए, ताकि लोग इसे लेकर पहले से तैयार हो सकें और अपनी आजीविका के बारे में भी पहले से निर्णय ले सकें।
शीर्ष अदालत ने कोविड-19 महामारी को ‘विश्व युद्ध’ करार देते हुए कहा कि इस महामारी से दुनिया में आज हर कोई किसी न किसी रूप में प्रभावित हुआ है और इससे जूझ रहा है। कोर्ट ने कहा कि इसकी रोकथाम को लेकर लागू दिशा-निर्देशों व मानकों का समुचित तरीके से पालन नहीं होने और इसमें लापरवाही बरते जाने के कारण ही देश में यह ‘जंगल की आग’ की तरह फैली। शीर्ष अदालत ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ पिछले 8 महीने से लगातार काम कर रहे चिकित्सकों, नर्स और पहली पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों के शारीरिक व मानसिक थकान का हवाला देते हुए यह भी कहा कि उन्हें कुछ आराम देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने की आवश्यकता है।
कोविड के खिलाफ जंग में एकजुटता पर जोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों को केंद्र के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से मामले की निगरानी करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह समय मतभेदों को दूर कर साथ आने का है। किसी दूसरी बातों में उलझने की बजाय नागरिकों के स्वास्थ व उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अदालत ने कोविड-19 महामारी की रोकथाम को लेकर जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन के निर्देश भी दिए।