दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (सिंघु बार्डर) पर किसानों का धरना जारी है. धरना स्थल से दिल दहला देने वाली खबर आई है. धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह ने आत्महत्या कर ली है. उन्होंने खुद को गोली मार ली. सुसाइड नोट में हत्या के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. बाबा राम सिंह करनाल के रहने वाले थे.
बाबा राम सिंह ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उनके हक के लिए आवाज बुलंद की है. सुसाइड नोट के मुताबिक, संत बाबा राम सिंह ने किसानों पर सरकार के जुल्म के खिलाफ आत्महत्या की है. बाबा राम सिंह किसान थे और हरियाणा एसजीपीसी के नेता थे.
संत बाबा राम सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा है कि किसानों का दुख देखा. वो अपना हक लेने के लिए सड़कों पर हैं. बहुत दिल दुखा है. सरकार न्याय नहीं दे रही. जुल्म है. जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है.
संत बाबा राम सिंह आगे लिखते हैं कि किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ नहीं किया. कइयों ने सम्मान वापस किए. यह जुल्म के खिलाफ आवाज है. वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह.
(संत बाबा राम सिंह का सुसाइड नोट)
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ तीन हफ्ते से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार और किसानों में कई दौर की वार्ता हो चुकी. सभी बेनतीजा रहीं. किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. वहीं, सरकार संशोधन करने को तैयार है, लेकिन किसान इस प्रस्ताव को ठुकरा रहे हैं.
वहीं, किसान आंदोलन को लेकर बुधवार (16 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने कहा है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अबतक समझौता क्यों नहीं हुआ. अदालत की ओर से अब किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है. अदालत का कहना है कि ऐसे मुद्दों पर जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए. अदालत ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने को कहा है, ताकि दोनों आपस में मुद्दे पर चर्चा कर सकें.