दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओँ पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को सड़कों से हटाने को लेकर दायर याचिकाओँ पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार, किसान संगठनों और दूसरे पक्षों को शामिल करते हुए एक कमेटी बनानी चाहिए, क्योंकि जल्द यह राष्ट्रीय मुद्दा बनने वाला है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है कि यह मुद्दा सिर्फ सरकार के स्तर पर सुलझने वाला नहीं।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ सरकार की बातचीत का अभी तक कोई साफ नतीजा नहीं निकला है।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओँ के वकील नहीं कहा कि किसान आंदोलन के कारण सड़कें जाम हैं, जिसके कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही प्रदर्शन वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होने की वजह से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली, यूपी, हरियाणा तथा पंजाब को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओँ से किसानों के संगठन को भी पार्टी बनाएं। हम नहीं जानते कि कौन से संगठन हैं। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई गुरुवार यानी 17 दिसंबर को करेगा।

तीन नए केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 21 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों ने आज दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया। उधर, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कई खापों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। ये खापें 17 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन में शामिल होंगी।

 

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