संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा. ये घोषणा केंद्र की मोदी सरकार ने की है. अगर संसद का शीतकालीन सत्र नहीं हो रहा है तो यो देश के बहुत बड़ी खबर बनती है. ऐसे में लाजमी है कि इसके पीछे कोई न कोई बड़ा कारण तो होगा ही. वरना लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर का सबसे बड़ा आयोजन कैसे रद्द किया जा सकता है. तो इसके रद्द होने की वजह भी सरकार ने बताई है. सरकार का कहना है कि देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं, जिसके चलते ये कदम उठाना पड़ा है, ये सही भी है क्योंकि किसी की जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण दूसरा कुछ नहीं हो सकता. तो सरकार ने जो कदम उठाया वो बिल्कुल सही है लेकिन सरकार के इस फैसले पर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है तो उसके भी अपने तर्क हैं. तो आइये हम आपको बताते हैं कि विपक्ष ने सरकार के इस कदम पर आखिर क्यों आपत्ति जताई है? विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार ने जब मानसून सत्र बुलाया था, उस वक्त कोरोना के मामले आज की तुलना में बहुत ज्यादा थे, इसके बावजूद भी सत्र बुलाया गया, कई बिल भी पास हुए लेकिन आज जब किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं तो ऐसे में बेहद जरूरी है कि सत्र बुलाया जाता और कृषि कानूनों पर चर्चा होती. लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. विपक्ष का सीधा आरोप है कि किसानों के मुद्दे से बचने के लिए ही सरकार ने ये कदम उठाया है. अब हम आपको बताते हैं कि मोदी सरकार के संसदीय मंत्री ने लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को पत्र लिखकर संसद सत्र के बारे में क्या कहा.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को लिखे एक पत्र में केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘सर्दियों का महीना कोविड-19 के प्रबंधन के लिहाज से बेहद अहम है, क्योंकि इसी दौरान संक्रमण के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है, खासकर दिल्ली में. अभी हम दिसंबर मध्य में हैं और कोरोना का टीका जल्द आने की उम्मीद है.’
जोशी ने कहा कि उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से संपर्क स्थापित किया, उन लोगों ने भी महामारी पर चिंता जताते हुए शीतकालीन सत्र से बचने की सलाह दी.
जोशी ने पत्र में लिखा, ‘सरकार संसद के आगामी सत्र की बैठक जल्द बुलाना चाहती है. कोरोना महामारी से पैदा हुई अभूतपूर्व स्थिति को ध्यान में रखते हुए बजट सत्र की बैठक 2021 की जनवरी में बुलाना उपयुक्त होगा.’
आपको बता दें कि अधीर रंजन चौधरी ने किसानों के मुद्दे को लेकर लोकसभा का सत्र बुलाने की मांग की थी. उसके जवाब में संसदीय मंत्री पत्र लिखकर शीतकालीन सत्र रद्द की घोषणा की है. अब इस ऐलान के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मोदी सरकार को निशान पर लिया है. चौधरी ने कहा है कि वे संसद में किसानों के मुद्दों को उठाना चाहते थे और सरकार ने इससे बचने के लिए ये कदम उठाया है. उन्होंने न्यूज चैनल एनडीटीवी को बताया, ‘हम किसानों के मुद्दों को संसद में उठाना चाहते थे और समाधान चाहते थे. जिस तरह से किसान ठंड में विरोध कर रहे हैं, यह देश की छवि के लिए अच्छा नहीं है,’
वहीं एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि सरकार सच को छिपा रही है और ये फैसला लेने से पहले राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से सलाह नहीं ली गई. उन्होंने कहा, ‘राज्यसभा में विपक्ष के नेता की सलाह नहीं ली गई थी. प्रह्लाद जोशी हमेशा की तरह सच को छिपा रहे हैं.’
आपको बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र सामान्यत: नवंबर के आखिरी या दिसंबर के पहले सप्ताह में आरंभ होता है.