Solar Eclipse 2020

भारत में सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण का खासा महत्व है. इस ग्रहण को लेकर हिंदू धर्म से जुड़ी पौराणिक मान्‍यता है. इसके अनुसार  एक बिना सिर वाला राक्षस राहु सूर्य और चंद्रमा को निगल जाता है लेकिन वह ज्यादा समय तक उसे अपने मुंह में नहीं रख पाता. इसलिए फिर से सूर्य-चन्द्रमा अपनी पूर्व स्थिति में आ जाते हैं. जिसमें समय तक सूर्य-चन्द्रमा राहु के मुख में रहते हैं. वही ग्रहण काल कहलाता है. पौराणिक मान्यता है कि ये राक्षस बिना हाथ-पैर वाला होता है जो सूर्य और चंद्रमा को पकड़ नहीं सकता. इसलिए सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण बहुत देर तक नहीं रह पाता है.

आज 14 दिसंबर दिन सोमवार को इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और हिंद महासागर और अंटार्कटिका में पूर्ण रूप से दिखाई देगा. भारतीय समय के अनुसार ये ग्रहण शाम को 7 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा और रात 12 बजकर 23 मिनट पर खत्म हो जाएगा. सूर्य ग्रहण की अवधि लगभग 5 घंटे रहेगी. यह सूर्य ग्रहण दक्षिणी अफ्रीका, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक और हिंद महासागर और अंटार्कटिका में पूर्ण रूप से दिखाई देगा.

आपको बता दें कि इस बार का सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और मिथुन लग्न में लगेगा. वहीं, ग्रहण का नक्षत्र ज्येष्ठा है. इस कारण सूर्य ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव वृश्चिक राशि और मिथुन राशि पर पड़ेगा. इसलिए इन दोनों ही राशि के जातकों को सतर्क रहने की जरूरत है. सूर्य ग्रहण के दौरान वृश्चिक राशि में 5 ग्रह मौजूद रहेंगे. ज्योतिष गणना के अनुसार सोमवती अमावस्या पर वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र और केतु विराजमान रहेंगे. ऐसी स्थिति कई वर्षों बाद बन रही है.

इस सूर्य ग्रहण के दौरान पांच ग्रह एक साथ होंगे. सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा है. ग्रहण काल में वृश्चिक राशि में पांच ग्रह सूर्य, शुक्र, बुध, केतु और चंद्रमा एक साथ होंगे. सूर्य ग्रहण के दौरान गुरु चंडाल योग भी बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इस योग को खतरनाक योगों में से एक माना गया है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में पहले से ही गुरु चंडाल योग बना हुआ है उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.

सूतक से अर्थ है खराब समय या ऐसा समय जब प्रकृति ज्यादा संवेदनशील होती है , ऐसे में किसी अनहोनी के होने की संभावना ज्यादा होती है. सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है. ऐसे समय में सावधान रहना चाहिए और ईश्वर का ध्यान करना चाहिए. सूतक काल में हमें कुछ खास बातों का ध्यान रखाना चाहिए. किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं. सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता. यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं.

ग्रहण काल के दौरान खाना-पिना, शोर मचाना या किसी भी प्रकार का शुभ कार्य जैसे पूजा-पाठ आदि नहीं की जाती है. सूतक लगने के बाद से गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं, जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है. ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर शुद्धिकरण करने की भी मान्यता है. ग्रहण काल के सूतक से पहले ही खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते रख देना चाहिए.

ये होगा सूतक काल का समय
सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पूर्व सूतक काल का आरंभ होगा. सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इस सूतक काल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार यह सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि में और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा. लेकिन इस बार रात्रि के समय ग्रहण लगने का कारण इस बार भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा. भारत में दृश्य न होने का कारण सूतक काल भी मान्य नहीं होगा, लेकिन ग्रहण काल के दौरान कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक होता है.

गर्भवती महिलाएं न करें ये काम
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी होती है. ग्रहण काल के समय गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर रहना चाहिए, क्योंकि गर्भ पर ग्रहण की छाया पड़ना शुभ नहीं माना जाता है. ग्रहण काल के समय गर्भवती महिलाओं को सूई, कैंची, चाकू आदि नहीं चलाना चाहिए. इस समय छोटे बच्चों को भी बाहर नहीं जाने देना चाहिए.

सूर्य ग्रहण के दौरान न भूलें करना ये काम
सूर्य ग्रहण से पहले ही दान करने के लिए वस्तुएं निकाल कर रख लें और सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद उन वस्तुओं का दान कर दें. ग्रहण के दौरान कोई भी पूजा-पाठ का कार्य नहीं किया जाता है, इसलिए अपने घर के मंदिर में भी पर्दा लगा दें. तुलसी में नकारात्मता को सोखने की क्षमता होती है, इसलिए ग्रहण का आरंभ होने से पहले ही खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी का पत्ता अवश्य डाल दें. ग्रहण के समय पूजा पाठ करना निषिद्ध माना गया है, परंतु इस समय मंत्रों का जाप किया जा सकता है. ग्रहण के आरंभ होने से लेकर समाप्त होने तक मंत्रों का जाप करें.

खाने पीने की वस्तुओं में डाले तुलसी का पत्ता
तुलसी में नकारात्मता को सोखने की क्षमता होती है, इसलिए ग्रहण का आरंभ होने से पहले ही खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी का पत्ता अवश्य डाल दें.

इन राशियों के जातक रहें विशेष सतर्क, न करें ये काम
सूर्य ग्रहण के दौरान मेष, कर्क, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि वाले विशेष सावधानी बरतें. इस दौरान कोई भी नया कार्य न करें और भगवान का स्मरण करें. ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र का जाप करें. इस दौरान किसी का अपमान और न गलत कार्य करें वरना ग्रहण दोष लग सकता है.

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