नए कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार घिरती जा रही है. करीब तीन हफ्ते से दिल्ली सीमा पर कई राज्यों के किसान धरना दे रहे हैं. किसानों ने दो टूक कह दिया है कि जबतक ये कानून वापस नहीं लिये जाते उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. आंदोलन को तेज करने के लिए किसानों ने रणनीति तैयार कर ली है. इसके तहत सोमवार (14 दिसंबर) को देशभर के किसान भूख हड़ताल पर रहे. इस आंदोलन के समर्थन में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे कूद पड़े हैं. ये वही अन्ना हजारे हैं जिनके ‘लोकपाल आंदोलन’ ने यूपीए की मनमोहन सरकार की चूलें हिला कर रख दी थी. अब उन्होंने मोदी सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है.
हजारे ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखा है. इसमें एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने सहित उनकी मांगों को पूरा करने में केंद्र की विफलता के खिलाफ फिर से भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी है. इससे पहले 8 दिसंबर को केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में अन्ना हजारे ने एक दिन का अनशन किया था.
अन्ना ने मोदी सरकार को चेतावनी दी है कि अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं तो वह ‘जन आंदोलन’ करेंगे. अन्ना हजारे ने कहा था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को ‘लोकपाल आंदोलन’ के दौरान हिला दिया गया था. उन्होंने कहा था, “मैं इन किसानों के विरोध को भी उसी तर्ज पर देख रहा हूं. किसानों द्वारा किए गए भारत बंद के दिन मैंने रालेगण-सिद्धि में अपने गांव में एक दिन का उपवास किया था और किसानों की मांगों पर मेरा पूरा समर्थन है.”
केंद्र को लिखी अपनी चिट्ठी में अन्ना हजार ने कहा कि उनकी मांगों पर तत्कालीन कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने रालेगणसिद्धी में आकर लिखित आश्वासन दिया था. अभी तक इसका पालन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, “इसलिए 5 फरवरी 2019 का रुका हुआ अनशन फिर से शुरू करने की सोच शुरू हो गई है. जल्द ही अनशन कहां करना है, कब करना है, तिथि सब तय होने के बाद लिखकर आपको अवगत करूंगा.” अन्ना के इस कदम के बाद अगर मोदी सरकार ने गम्भीरता से नहीं लिया तो आने वाले वक्त में मुश्किलें बढ़ सकती हैं.