कृषि कानूनों के खिलाफ किसान और मोदी सरकार के बीच घमासान मचा है. किसानों की मांग है कि केंद्र नए कृषि कानूनों को वापस ले. लेकिन सरकार ने दो टूक कह दिया कि कानून वापस नहीं होंगे. इस मसले को लेकर दिल्ली सीमा पर पंजाब हरियाणा के किसान पिछले 15 दिन से धरना दे रहे हैं. इस दौरान किसान और सरकार के बीच 6 दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन दोनों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई हैं. अब विपक्ष भी मोदी सरकार पर हमला बोल रहा है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र किसानों के धैर्य की परीक्षा न ले. पवार ने कहा है कि सरकार को हर हाल में कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करना चाहिए.
पवार ने कहा कि सरकार को कृषि कानूनों के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए, इन कानूनों को बिना चर्चा के पारित किया गया था, सभी ने सरकार से कहा था कि वे इस पर चर्चा करें, लेकिन विपक्ष की बात को दरकिनार करते हुए सरकार ने कृषि कानूनों को संसद से जल्दबाजी में पारित किया.
शरद पवार ने कहा कि ऐसा मत सोचो कि अब केंद्र सरकार किसानों की मांग को सुनने के मूड में नहीं है, इसलिए यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा. अभी यह आंदोलन दिल्ली सीमाओं तक सीमित है. यदि सही समय पर निर्णय नहीं लिया गया तो यह आंदोलन अन्य जगहों पर फैल गया. मैं अनुरोध करता हूं कि किसानों के धैर्य की परीक्षा न लें.
दरअसल, किसान आंदोलन को दो हफ्ते से ज्यादा वक्त हो चुका है और दिल्ली के बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं. सरकार की सारी कोशिशें अब तक विफल साबित हुई हैं. आज इस मुद्दे पर मीडिया से मुखातिब हुए कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने एक बार फिर किसानों से धरना तोड़ने की अपील की. साथ उन्होंने एक नया सवाल भी खड़ा किया.
गौरतलब है कि टिकरी बॉर्डर पर किसानों के धरना स्थल पर देशद्रोह के आरोपी शरजील इमाम के पोस्टर लगे थे और उनकी रिहाई के नारे लगे थे. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिं तोमर ने पूछा कि इसका किसानों के आंदोलन से क्या लेना-देना. उन्होंने कहा कि ये खतरनाक है और किसान संगठनों सिर्फ अपनी मांग करनी चाहिए नाकि देहद्रोह के आरोपियों की रिहाई.