Ramesh Pokhriyal Nishank,
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री का मैकाले की शिक्षा नीति पर प्रहार (फाइल फोटो)
नयी दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के हर वर्ग, हर क्षेत्र, हर छात्र तथा हर कोने तक समान और समावेशी रूप से शिक्षा पहुँचाने के उद्देश्य से अस्तित्व में आई है।
डॉ. निशंक ने सीबीएसई सहोदय स्कूल परिसरों के 26वें राष्ट्रीय वार्षिक सम्मलेन को संबोधित करते हुए आज कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए अपने स्कूलों के बीच विचारों के तालमेल की सुविधा के लिए 1986 में सहोदय की शुरुआत की। इसकी शुरुआत ‘देखभाल और साझा करने’ की भावना से प्रेरित किया गया और इसका उद्देश्य सीबीएसई परिवार के स्कूलों के बीच घनिष्ठ नेटवर्किंग और सहयोग करना है।
उन्होंने कहा कि देश भर के 260 से अधिक सहोदय परिसर प्राचार्यों और प्रभावी नेटवर्क द्वारा शिक्षकों एवं छात्रों के सशक्तिकरण में एक सक्रीय भूमिका निभा रहे है। उन्होनें कहा, “सहोदय परिसर एक ऐसा संगम है जहाँ विद्यालय, शिक्षक समुदाय को एक-दूसरे के साथ अपनी विशेषज्ञता, अनुभव और संसाधनों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैं। मैं इस वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन को सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को साझा करने और स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु सम्मेलन के अंत में, एक संकल्प को अपनाने के लिए सभी सहोदय सदस्यों को बधाई देता हूं।”
इस वार्षिक सम्मलेन के विषय “चुनौतीपूर्ण समय में क्षमता निर्माण” के बारे में डॉ. निशंक ने कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए ये विषय बेहद प्रासंगिक है और मुझे गर्व है कि भारत के शिक्षा तंत्र ने इस चुनौतीपूर्ण समय का सामना बेहद सफलतापूर्वक किया। उन्होनें कहा, “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आप सभी की मेहनत और उत्साह का ही परिणाम है। इस संक्रमणकाल के दौर में जहां एक ओर दुनिया अपनी शैक्षिक व्यवस्था को समायोजित और बदलाव के जरिए ठीक करने की प्रक्रिया में व्यस्त रही, वही भारत ने नई शिक्षा नीति के माध्यम से एक नए भविष्य के निर्माण की आधारशिला रखी है. पूरे विश्व में शिक्षा को लेकर इतने बड़ेरिफॉर्म का कोई दूसरा उदाहरण नहीं है।”
केंद्रीय मंत्री ने सभी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा के लिए दिए गए प्रस्तावों के बारे में भी विस्तार से बताया और ‘चरित्र निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण’ तक यह नीति भारत को ‘ज्ञान की महाशक्ति’ तथा ‘पुनः विश्व गुरु’ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। डॉ. निशंक ने कहा, “मेरी समझ से,यह राष्ट्रीय सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को स्थापित करने की दृष्टि से एक बहुत महत्वपूर्ण आयोजन है. मुझे उम्मीद है कि सम्मेलन में एनईपी के प्रमुख मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श होगा तथा सभी हितधारकों, छात्रों और विशेष रूप से शिक्षकों के लिए आवश्यक दक्षताओं पर जोर दिया जाएगा।”
इस सम्मलेन में कर्नाटक के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री व सकाला मंत्री सुरेश कुमार, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनीता करवाल, सीबीएसई मनोज आहूजा, शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी, सीबीएसई, केंद्रीय विद्यालय संगठन व नवोदय विद्यालय से अधिकारी, बेंगलुरु के सहोदय परिसर के अधिकारी, विद्यालयों के प्रधानाचार्य,काफी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं अभिभावक भी जुड़े।

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