संवाददाता
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः केंद्र सरकार ने रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना शुरू करने के फैसला लिया है। इस योजना पर सरकार 22,810 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस योजना को मंजूरी प्रदान की गई। बैठक के बाद केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक संवाददाताओं को बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने 22 हजार 810 करोड़ रुपए की आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को मंजूरी प्रदान की है। यह योजना 2020 से 2023 के लिए होगी और चालू वित्त वर्ष में इस योजना में 1584 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस योजना से लगभग 58.5 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ उन नियोक्ता संस्थानों को मिलेगा, जिनमें 1,000 तक कर्मचारी काम करते हैं। इसके तहत आने वाले संस्थानों को सरकार कर्मचारी भविष्य निधि में 24 प्रतिशत का अंश दान देगी। वहीं एक हजार से अधिक कर्मचारी वाले संस्थानों में सरकार सिर्फ कर्मचारी के अंशदान 12 प्रतिशत का भुगतान करेगी।
गंगवार ने बताया कि इस योजना का लाभ उन कर्मचारियों को भी मिलेगा, जिनकी कोरोना वायरस के कारण छूट गयी थी और उनका भविष्य निधि का अंश दान जमा नहीं हो पाया है।
गंगवार ने बताया कि देश में संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या 10 करोड़ को पार कर गई है जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या छह करोड़ थी। उन्होंने बताया कि ईपीएफओ यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन सदस्यों के आधार संख्या से जुड़े खाते में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से इस योगदान का भुगतान करेगा। उन्होंने बताया कि ईपीएफओ इसके लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित करेगा। उन्होंने बताया कि इस योजना में एक पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि ईपीएफओ यह सुनिश्चित करने के लिए एक उपयुक्त तरीका अपनाएगा कि आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना और ईपीएफओ की गई किसी अन्य योजना के लाभ आपस में न टकराएं।
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