संवाददाता

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः कृषि से संबंधित तीन नये कानूनों के खिलाफ किसानों का आज भारत बंद है। किसानों के भारत बंद का कांग्रेस सहित 20 राजनीतिक पार्टियों तथा 10 ट्रेड यूनियनों ने समर्थ किया है। साथ ही विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने नौ दिसंबर को राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगा है।

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज 13वां दिन है। सर्दी का मौसम और कोरोना संकट होने के बावजूद किसान पिछले 13 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने को लेकर सरकार तथा किसानों के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है, यानी पांचों दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। अब इस मुद्दे पर किसानों के प्रतिनिधियों तथा सरकार के बीच नौ दिसंबर यानी बुधवार को छठे दौर की बातचीत होगी।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से दूसरे राज्यों में जाने वाले ज्यादातर रास्ते बंद हो सकते हैं। कैब सेवाएं भी नहीं मिलेगी। आजादपुर मंडी दिल्ली दिल्ली की मंडियां बंद रहेंगी। सब्जियों की सप्लाई बाधित हो सकती है। हालांकि व्यापारियों के संगठन- कैट ने कहा है कि देश और दिल्ली के बाजार खुले रहेंगे। गुड़गांव में पेट्रोल पंप बंद करने का फैसला संबंधित असोसिएशन ने लिया है। हरियाणा से आगरा-मथुरा और पंजाब की ओर जाने वाली बसें फिलहाल बंद रहेंगी।

आम आदमी को परेशान नहीं होने देंगेः टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम शांति से प्रदर्शन करते रहेंगे। हम आम आदमी को परेशान नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मंगलवार को भारत बंद का समय 11 बजे से 3 बजे तक इसीलिए रखा है, क्योंकि 11 बजे तक ज्यादातर लोग ऑफिस पहुंच जाते हैं और तीन बजे छुट्टी होनी शुरू हो जाती है।

एम्बुलेंस और शादियों वाली गाड़ियों को रहेगी छूट
नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने आठ दिसंबर के भारत बंद का आह्वान किया है, जिसका कांग्रेस समेत 20 राजनीतिक पार्टियों तथा 10 ट्रेड यूनियनों ने किया है। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने नौ दिसंबर को राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगा है। बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी आज किसान आंदोलन को समर्थन का ऐलान किया। किसानों ने कहा है कि भारत बंद के दौरान एम्बुलेंस और शादियों वाली गाड़ियां आ-जा सकेंगी।

किसानों के बंद का इन राज्यों ने किया है समर्थन

किसानों के भारत बंद का दिल्ली सहित देश की आठ राज्य सरकार ने समर्थन देने की घोषणा की है। जिन राज्यों ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है, उनमें दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, केरल और महाराष्ट्र सरकार शामिल हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी किसानों की मांगों का समर्थन किया है, लेकिन उन्होंने भारत बंद का समर्थन नहीं किया है।

20 राजनीतिक दल तथा 10 ट्रेड यूनियों ने किया है बंद का समर्थन

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद का कांग्रेस सहति 20 राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है। वहीं 10 ट्रेड यूनियनों ने भी किसानों के भारत बंद में साथ देने का वादा किया है। हालांकि व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और ट्रांसपोर्टरों के संगठन ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यूए) ने किसान संगठनों द्वारा आज बुलाए गए ‘भारत बंद’ से अलग रहने की घोषणा की है। कैट ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को किसानों के ‘भारत बंद’ के दौरान दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में बाजार खुले रहेंगे।

इन-इन जगहों पर दिखेगा असर

किसानों के भारत बंद का असर जरूरी सेवाओं को छोड़कर शायद हर जगह देखने को मिल सकता है। किसान संगठनों ने दिल्‍ली की सीमाओं पर कब्‍जा कर लिया है। किसान आठ दिसंबर को देशभर में चक्‍का जाम करने की तैयारी में है। रेल सेवाओं को भी प्रभावित करने की कोशिश करेंगे। कृषि आधारित इलाकों में बंद का व्‍यापक असर देखने को मिल सकता है। बाजार से लेकर सामान्‍य जनजीवन पर बुरा असर पड़ने की पूरी संभावना है। सड़कें जाम होने से सप्‍लाई चेन्‍स और ट्रांसपोर्ट सर्विस‍िज की कमर टूट सकती है। यदि राजनीतिक दल भी भारत बंद के समर्थन में उतरते हैं तो फिर उसके असर का दायरा और बढ़ सकता है। इमर्जेंसी और जरूरी सेवाओं को बंद से दूर रखने की बात किसान संगठन कहे चुके हैं।

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