दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः कृषि से संबंधित तीन नए कानूनों के बारे में अपनी मांगों को लेकर किसान सरकार से सिर्फ हां और ना में जवाब जाहते हैं। इस मुद्दे पर सरकार और किसानों के बीच शनिवार को भी बात नहीं बनी। इस तरह से पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। सरकार ने किसानों की मांगों पर अपना प्रस्ताव तैयार करने के लिए चार दिन का वक्त मांगा, जिसे किसानों ने स्वीकार कर लिया। अब नौ दिसंबर को किसानों तथा सरकार के बीच छठे दौर की बातचीत होगी।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित बैठक में शामिल होने के लिए 40 किसान नेता पहुंचे थे। करीब पांच घंटे तक चली बैठक के दौरान किसानों ने कई तल्ख तेवर अख्तियार किया। बैठक के जब चार घंटे की बैठक पूरे हो गए , तो आखिरी एक घंटे में किसानों ने मौन साध लिया और मुंह पर उंगली रखकर बैठ गए। किसानों ने सरकार से तीन सवाल पूछे और हां या ना में जवाब मांगा। किसानों ने सवाल किया, “कहा- सरकार बताए कि वह कृषि कानूनों को खत्म करेगी या नहीं? एमएसपी को पूरे देश में जारी रखेगी या नहीं? और नए बिजली कानून को बदलेगी या नहीं?”

बाैठक के बाद कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के हितो की रक्षा को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि एपीएमसी का विषय राज्यों से संबद्ध है और केंद्र सरकार इसे और मजबूत करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यदि किसान नेता कुछ सुझाव देते, तो समस्या का समाधान करना आसान हो जाता। उन्होंने कहा कि छह साल के मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किए गए. जिससे किसानों की आय बढ़ी है।कृषि बजट बढ़ाया गया , कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया ,फसलों की खरीद बढ़ी और नई तकनीकों को अपनाया गया।

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