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नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का नौवां दिन, किसान शनिवार को सरकार के साथ होने वाली बैठक की बनाएंगे रणनीति
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नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का नौवां दिन, किसान शनिवार को सरकार के साथ होने वाली बैठक की बनाएंगे रणनीति

संवाददाता

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः कृषि से संबंधित तीन नए कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों के प्रदर्शन का आज नौवां दिन है। किसानों के प्रदर्शन के कारण  दिल्ली बॉर्डर पर 9 प्वाइंट पर यातायात पूरी तरह से बंद है।

किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने को लेकर सरकार तथा किसानों के प्रतिनिधियों के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बातचीत हुई, लेकिन बात नहीं बन पाई। इस बातचीत के दौरान ही यह साफ हो गया था कि किसानों का आंदोलन अभी नहीं थमेगा। इस बातचीत के दौरान सरकार की ओर से किसानों को यकीन दिलाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन किसानों को सरकार के यकीन पर यकीन नहीं हुआ। किसान कानून वापस करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। किसानों ने साफ शब्दों में कहा कि कानून वापस लेने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।

अब केंद्र सरकार तथा किसानों के बीच पांच दिसंबर यानी शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत होगी। क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शनपाल ने कहा कि केंद्र कानूनों में कुछ सुधार पर राजी है, लेकिन हम नहीं। हमने उन्हें बता दिया है कि पूरे कानूनों में ही खामी है। हम कल यानी शनिवार को होने वाली बैठक से पहले आज आपस में बातचीत करेंगे और अपनी रणनीति तैयार करेंगे।

इस बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को यकीन दिलाया कि एमएसपी भरोसा दिलाया (MSP) को छुआ नहीं जाएगा। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। इन्होंने बताया कि नए कानूनों में किसानों को सहुलियत दी गई है। उन्होंन कहा कि किसानों की जमीन की लिखा-पढ़ी कोई नहीं कर सकता है. लेकिन किसानों को उनके यकीन पर यकीन नहीं है।

इस बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को यकीन दिलाया कि एमएसपी भरोसा दिलाया (MSP) को को छुआ नहीं जाएगा। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। इन्होंने बताया कि नए कानूनों में किसानों को सहुलियत दी गई है। उन्होंन कहा कि किसानों की जमीन की लिखा-पढ़ी कोई नहीं कर सकता है. लेकिन किसानों को उनके यकीन पर यकीन नहीं है।

इस बैठक के दौरान सरकार के प्रति रवैया कैसा था, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि लंच ब्रेक होने पर उन्होंने अपने साथ लाया खाना ही खाया। किसानों ने साफ कह दिया कि सरकार का चाय या खाना मंजूर नहीं। सरकार की ओर से एक दिसंबर की बैठक में भी किसानों को चाय ऑफर की गई थी। उस दौरान किसानों की ओर से कहा गया था कि चाय नहीं, मांगें पूरी कीजिए। आप धरनास्थल पर आइए, हम आपको जलेबी खिलाएंगे।

Shobha Ojha

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