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नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, चार दिवसीय पूजा के दौरान व्रती 36 घंटे तक रहते हैं निर्जला
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नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, चार दिवसीय पूजा के दौरान व्रती 36 घंटे तक रहते हैं निर्जला

नहाय खाय के साथ आज से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा त्योहार छठ महापर्व की शुरुआत हो गई। चार दिवसीय छठ का पहला अर्ध्य 20 नवंबर को दिया जाएगा। इस दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे तथा 21 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

सूर्य को ग्रंथों में प्रत्यक्ष देवता यानी ऐसा भगवान माना है जिसे हम खुद देख सकते हैं। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और इसकी किरणों से विटामिन डी जैसे तत्व शरीर को मिलते हैं। दूसरा, सूर्य मौसम चक्र को चलाने वाला ग्रह है। ज्योतिष के नजरिए से देखा जाए तो सूर्य आत्मा का ग्रह माना गया है। सूर्य पूजा आत्मविश्वास जगाने के लिए की जाती है।

पुराणों में सूर्य को पंचदेवों में से एक माना गया है, ये पंच देव हैं ब्रह्मा, विष्णु, शिव, दुर्गा और सूर्य। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में सूर्य की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है। शादी करते समय भी सूर्य की स्थिति विशेष पर देखी जाती है। भविष्य पुराण से ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्य पूजा का महत्व बताया है। बिहार में ऐसी मान्यता प्रचलित है कि पुराने समय में सीता, कुंती और द्रोपदी ने भी ये व्रत किया था।

ऐसी मान्यता है कि छठ माता सूर्यदेव की बहन हैं,  जो लोग इस तिथि पर छठ माता के भाई सूर्य को जल चढ़ाते हैं, उनकी मनोकामनाएं छठ माता पूरी करती हैं। छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है। मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि प्रकृति ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं। माना ये भी जाता है कि देवी दुर्गा का छठवां रूप कात्यायनी ही छठ मैया हैं।

छठ महापर्व की शुरुआत चतुर्थी तिथि पर वहाय-खाय के होती है। इस दिन लोग घर की साफ-सफाई करते हैं।  इस दिन पूजा-पाठ के बाद शुद्ध सात्विक भोजन किया जाता है। छठ माता के लिए व्रत निर्जला किया जाता है यानी व्रती लगभग 36 घंटे तक पानी भी नहीं पीते हैं। इसकी शुरुआत पंचमी तिथि पर खरना के साथ होती है। खरना यानी तन और मन का शुद्धिकरण। इसमें व्रती करने वाले शाम को गुड़ या कद्दू की खीर ग्रहण करता है।

18 नवंबर को नहाय-खाय है, 19 को खरना, 20 को छठ पूजा और 21 को सुबह सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। ये सूर्य और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है।

General Desk

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