आज रूप चतुर्दशी है। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को रूप चतुर्दशी या नरक चौदस के तौर पर मनाया जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार रूप चतुर्दशी में शाम को यमराज के लिए दीपदान देने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। वहीं, भविष्य और पद्म पुराण के मुताबिक चतुर्दशी तिथि में सूर्योदय से पहले उठकर अभ्यंग यानी तेल मालिश कर के औषधि स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियां दूर हो जाती हैं और आयु में वृद्धि होती है।
ज्योतिषियों के मुताबिक 13 नवंबर को दोपहर लगभग तीन बजे से शुरू होकर 14 नवंबर की दोपहर दो बजे तक तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। इसलिए यम दीपदान शुक्रवार की शाम को करना चाहिए और औषधि स्नान 14 नवंबर को सूर्योदय से पहले करना शुभ रहेगा।
रूप चतुर्दशी तिथि पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए सूर्यास्त के बाद दक्षिण दिशा में दीपदान करने से कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है और जाने-अनजाने में किए गए हर तरह के पाप भी मिट जाते हैं। यम प्रसन्न होकर आरोग्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं। इससे परिवार में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आती।
भविष्यपुराण के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को नहाने से पहले तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए। तिल के तेल में लक्ष्मीजी और जल में गंगाजी का निवास माना गया है। इससे रूप बढ़ता है और सेहत अच्छी रहती है। पद्मपुराण में लिखा है कि जो सूर्योदय से पहले नहाता है, वह यमलोक नहीं जाता। इसलिए इस दिन सूरज उदय होने से पहले औषधियों से नहाना चाहिए।
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