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धर्म/राशिफल

प्रदोष काल में करें खरीदारी, दीपदान, कुवेर, धनवंतरी तथा मां लक्ष्मी की पूजा, स्थायी लक्ष्मी तथा समृद्धि की होगी प्राप्ति

आज 12 नवंबर यानी धनतेरस है। आज से पांच दिनों का दीपोत्सव पर्व शुरू हो रहा है। पंचांग भेद के कारण इस बार धनतेरस को लेकर असमंजस बना हुआ है। कुछ लोग इस पर्व को आज तो कुछ लोग 13 नवंबर यानी शुक्रवार को मनाएंगे। तिरुपति, उज्जैन और वाराणसी के ज्योतिषियों के अनुसार इस बार त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर की शाम से शुरू होगी और 13 नवंबर को दोपहर करीब तीन बजे तक रहेगी। ज्योतिषियों का कहना है कि 12 नवंबर को प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि होने से इसी दिन शाम को भगवान धन्वंतरि की पूजा और यम दीपक लगाकर धनतेरस पर्व मनाया चाहिए। ज्योतिषियों को कहन है कि जो त्रयोदशी तिथि में खरीदारी करना चाहते हैं, वे 13 नवंबर को कर सकते हैं।

13 नवंबर को लगभग तीन बजे से चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और 14 को दोपहर में करीब 1.25 तक रहेगी और फिर अमावस्या शुरू हो जाएगी। इसलिए 14 को रूप चतुर्दशी और दीपावली पर्व दोनों मनाए जाएंगे। 15 को गोवर्धन पूजा और 16 को भाईदूज का पर्व होगा।

अबूझ मुहूर्त वाला विशेष दिन धनतेरस

ज्योतिषियों के अनुसार धनतेरस पर शाम के समय लक्ष्मी और कुबेर की पूजा तथा यम दीपदान के साथ ही खरीदी के लिए भी श्रेष्ठ समय रहेगा। धनतेरस पर खरीदारी की परंपरा होने से पूरे दिन खरीदी की जा सकती है। परिवार में समृद्धि को अक्षत रखने की कामना से ही इस दिन चांदी के सिक्के, गणेश तथा लक्ष्मी प्रतिमाओं की खरीदारी करना शुभ होता है। साथ ही सोने-चांदी की चीजें खरीदने की भी परंपरा है। इसके अलावा पीतल, कांसे, स्टील और तांबे के बर्तन भी खरीदने की परंपरा है।

वैदिक ग्रंथों के मुताबिक भगवान धन्वंतरि भी इसी दिन अवतरित हुए थे, इसी कारण भी इस दिन को धनतेरस कहा गया है। समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि कलश में अमृत लेकर निकले थे, इसलिए इस दिन धातु के बर्तन खरीदते हैं।

कैसे करें पूजा और दीपदान

  • भगवान धन्वंतरि को पूजा सामग्री के साथ औषधियां चढ़ानी चाहिए। औषधियों को प्रसाद के तौर पर खाने से बीमारियां दूर होती हैं।
  • भगवान धन्वंतरि को कृष्णा तुलसी, गाय का दूध और उससे बने मक्खन का भोग लगाना चाहिए।
  • पूजा में लगाए गए दीपक में गाय के घी का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • सूर्यास्त के बाद यमराज के लिए दीपदान जरूर करना चाहिए।
  • इसके लिए आटे से चौमुखा दीपक बनाना चाहिए। उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में या दहलीज पर रखना चाहिए।
  • दीपदान करते समय यमराज से परिवार की लंबी उम्र की कामना करनी चाहिए।
  • स्कंद पुराण के अनुसार धनतेरस पर यमदेव के लिए दीपदान करने से परिवार में अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता।

नोटः सूर्यास्त के बाद 2 घंटे 24 मिनट का समय इस दौरान दीपदान, कुवेर, धनवंतरी तथा मां लक्ष्मी की पूजा शुभ होती है। प्रदोष काल में की गई खरीदारी और पूजा पाठ से स्थायी लक्ष्मी तथा समृद्धि मिलती है।

Shobha Ojha

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