आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज कि दि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। माता का यह स्वरूप ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से भक्तों की तप करने की शक्ति प्राप्त होती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर भगवान महादेव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
माता अपने इस स्वरूप में बिना किसी वाहन के नजर आती हैं। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। माता ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है। बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है।
इसलिए ब्रह्मशक्ति अर्थात समझने तथा तप करने की शक्ति हेतु इस दिन शक्ति का स्मरण करें। योग-शास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान में स्थित होती है। इसलिए समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान में करने से यह शक्ति बलवान होती है तथा सर्वत्र सिद्धि और विजय प्राप्त होती है।
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