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महज पांच फीसदी है दिल्ली की हवा को प्रदूषित करने में पराली की हिस्सेदारी, 95 प्रतिशत है स्थानीय कारक जिम्मेदार
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महज पांच फीसदी है दिल्ली की हवा को प्रदूषित करने में पराली की हिस्सेदारी, 95 प्रतिशत है स्थानीय कारक जिम्मेदार

संवाददाता

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की वायुक को प्रदूषित करने में पराली की हिस्सेदारी महज पांच  फीसदी है, जबकि 95 प्रतिशत प्रदूषण का कारण स्थानीय कारक हैं।  केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने दिल्ली सहित एनसीआर यानी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दस्तों को अपने आवास से रवाना करने से पहले आज यह बातें कही।

सीपीसीबी के 50 दस्ते दिल्ली-एनसीआर के शहरों में प्रदूषण की निगरानी करेंगे और प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। हर दल में एक वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी हैं।  जावड़ेकर ने कहा कि सर्दियों के मौसम में दिल्ली में हमेशा प्रदूषण की समस्या गंभीर हो जाती है। इसमें हिमालय की ठंडी हवा, गंगा के मैदानों में बनने वाली नमी, हवा की धीमी रफ्तार, स्थानीय स्तर पर निर्माण कार्य के दौरान बनने वाली धूल, सड़क किनारे की धूल, वाहनों से निकलने वाला धुआँ, लोगों द्वारा खुले में कूड़ा जलाया जाना, आसपास के राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाया जाना आदि कई कारक हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली का योगदान मात्र चार प्रतिशत है। शेष 96 फीसदी प्रदूषण स्थानीय कारकों की वजह से है। लेकिन  उन्होंने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार को कड़े शब्दों में हिदायत दी। उन्होंने कहा “पंजाब सरकार को ध्यान देना चाहिए कि वहां पराली ज्यादा न जले। पंजाब सरकार तुरंत हरकत में आए ताकि पराली कम जले। इससे राज्य के लोगों को भी परेशानी होती होगी।”उन्होंने दिल्ली के लोगों से तंग गलियों और सड़कों पर वाहन लेकर  जाने से बचने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोग कम दूरी के लिए पैदल या  साइकिल से जा सकते हैं। खुले में कूड़ा न फेकें और कूड़ा न जलायें। निर्माण कार्य में सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।

वहीं सीपीसीबी के अध्यक्ष शिवदास मीणा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से बोर्ड के 50 दस्ते ठंड के मौसम में प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली-एनसीआर के शहरों का दौरा करते हैं। इस साल यह काम बड़े पैमाने पर किया जायेगा। ये दस्ते सप्ताह में दो-तीन दिन मौके का दौरा करेंगे जबकि शेष दिन कार्यालय के कामकाज निपटाये जाएंगे।  ये दस्ते प्रदूषण की दृष्टि से एनसीआर के ‘हॉटस्पॉट’ शहरों में जायेंगी। इनमें उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ, हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, झज्जर, पानीपत और सोनीपत तथा राजस्थान के भिवाड़ी, अल्वर और भरतपुर शामिल हैं। इन शहरों में जिन स्थानों पर प्रदूषण अधिक होगा टीमें वहाँ औचक निरीक्षण करेंगी। वे मौके पर जाकर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार लोगों और संस्थाओं पर जुर्माना  लगायेगी। साथ ही राज्य सरकारों को भी प्रदूषण कम करने की सलाह दी जायेगी। आम लोग भी ‘सफर’ ऐप के जरिये अपने आसपास प्रदूषण फैलाने वालों की शिकायत कर सकते हैं।

General Desk

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