दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium )मामसे की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कहा कि मिस्टर मेहता लोगों की दिवाली अब आपके हाथ में है। आप सही फैसले के साथ कोर्ट में आइए। आप आम लोगों की दुर्दशा को समझिए। अब इस मामले में अलगी सुनवाई दो नंबर को होगी।
जस्टिस अशोक भूषण अध्यक्षता वाली बेंच ने आज यह बातें कही। इस बेंच में जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह शामिल हैं। इससे पहले सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत कर्जदारों की ओर से कहा गया कि बैंक ने ब्याज पर ब्याज लेना शुरू कर दिया है। उन्हें तुरंत रोकने की जरूरत है। वहीं रियल इस्टेट की संस्था क्रेडाई ने कहा कि हम इससे बाहर हैं। हमें कहा गया है कि हम बैंकों के साथ मिलकर इस समस्या का हल निकालें। हालांकि बिल्डर जिन दिक्कतों का सामना कर रहे हैं उसका यह जवाब नहीं है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि आपने पहले ही दो करोड़ रुपए तक के लोन लेने वालों को फायदा दिया है, लेकिन इसे अमल लाने की क्या योजना है। इस पर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इसे पहले ही अमल में लाया जा चुका है। चूंकि काफी नंबर है, इसलिए इसे आगे भी पूरा किया जाएगा।
वहीं वकील याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि सरकार ने इस मामले में बहुत ही सीमित तरीके से अपना रूख बताया है। बैंकों को अब तक कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि आरबीआई ने कहा कि सब हो गया, हर कोई यही कह रहा है कि सब कुछ हो गया। इस बारे में कोई सवाल नहीं है, लेकिन, कब हुआ? आपको इसके लिए एक महीने का समय चाहिए?
जस्टिस भूषण ने कहा कि जब सरकार ने इस बारे में फैसला ले ही लिया है तो इसमें देरी करने का कोई मतलब नहीं है। हम एक ऑर्डर पास करेंगे। इस पर सॉलीसिटर जनरल मेहता ने कहा कि बेंच ने सरकार की नहीं सुनी है। इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि हमने हमेशा सरकार को परमिशन दी है। हमने कहा है कि एक डायरेक्शन के साथ सरकार वापस आए, लेकिन यह आम लोगों के हित में नहीं है कि आप कोई भी निर्णय लेने में देरी करते रहें।
वहीं सुनवाई के दौरान जस्टिस शाह ने कहा कि सरकार आम लोगों की दुर्दशा को भी देखे। इस पर मेहता ने कहा कि सरकार के लिए यह बहुत ही कठिन है। इसके बाद जस्टिस शाह ने कहा कि मिस्टर मेहता, सुनिए। आपको छोटे कर्जदारों के लिए फैसला लेना होगा। आपने किसी को कोई आदेश नहीं जारी किया है। आपको आदेश जारी करना चाहिए।
कोर्ट ने मेहता ने कहा कि बैंक ब्याज पर ब्याज माफ करेंगे और फिर सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा। गिनती के अलग-अलग तौर-तरीके होंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बैंक हमें उचित फॉर्मेट दे। उधर पी चिदंबरम ने कहा कि कोर्ट बैंकों से कैटेगरीज के बारे में एक बयान चाहता है और आम आदमी के लिए एक संदेश भेजा जाना जरूरी है। आपको बता दें कि शॉपिंग सेंटर एसोसिएशन के लिए पी चिदंबरम ने एक अलग से याचिका दायर की है। वे केवल सरकार, आरबीआई और कामथ समिति द्वारा उठाए गए मुद्दों को उठा रहे हैं।
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