संवाददाता
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः विद्यालयों को खोलने को लेकर केंद्र सरकार ने पांच अक्टूबर को एसओपी यान मानक संचालन प्रक्रिया जारी कर दी। केंद्र द्वारा जारी एसओपी के छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य और इमोशनल सेफ्टी पर ध्यान देना होगा। दो-तीन सप्ताह तक छात्रों का कोई असेसमेंट नहीं होगा। कैम्पस में इमरजेंसी केयर टीम बनानी होगी तथा परिजनों की सहमति से ही बच्चों को स्कूल बुलाया जाएगा।
सरकार द्वारा जारी एसओपी के दो हिस्सों में है। एसओपी का पहला पार्ट निम्निलिखित प्रकार हैः-
- विद्यालय परिसर के सभी क्षेत्र, फर्नीचर, इक्विपमेंट, स्टेशनरी, स्टोरेज प्लेस, वॉटर टैंक, किचन, कैंटीन, वॉशरूम, लैब, लाइब्रेरी की लगातार साफ-सफाई हो और ऐसी जगहों को डिसइन्फेक्ट किया जाए।
- विद्यालयों को आपातकाली केयर सपोर्ट टीम या रिस्पॉन्स टीम, जनरल सपोर्ट टीम, कमोडिटी सपोर्ट टीम, हाइजीन इंस्पेक्शन टीम बनानी होगी।
- राज्यों की तरफ से जारी गाइडलाइन के आधार पर विद्यालय अपनी एसओपी बनाएं ताकि छात्रों के मामले में सोशल डिस्टेंसिंग और स्वास्थ्य सुरक्षा का पालन किया जा सके।
- इस बारे में नोटिस, पोस्टर, मैसेज लगाए जाएं और परिजनों को भी इस बारे में प्रमुखता से बताया जाए।
- छात्रों के बैठने का प्लान बनाते वक्त सोशल/फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए। कार्यक्रमों तथा समारोहों को टाला जाए। सभी की एक ही वक्त पर एंट्री-एग्जिट न हो। इसके लिए अलग-अलग टाइम टेबल रखा जाए।
- सभी छात्र और स्टाफ फेस कवर या मास्क पहनकर ही स्कूल आए और इसे हर वक्त पहना जाए।
- सेफ्टी प्रोटोकॉल, सोशल डिस्टेंसिंग से जुड़े साइनेज और मार्किंग्स लगाए जाएं। छात्र परिजनों की लिखित मंजूरी के बाद ही स्कूल आएं। यदि परिजन चाहते हैं कि उनका बच्चा घर से पढ़ाई करे तो इसकी इजाजत दी जाए।
- सभी क्लास के लिए अकादमिक कैलेंडर में बदलाव किए जाएं। विशेषकर ब्रेक्स और परीक्षाओं के बारे में दोबारा से सोचा जाए।
- स्कूल दोबारा खोले जाने से पहले यह देखा जाए कि सभी छात्रों के पास जरूरी पाठ्य पुस्तक मौजूद या नहीं है।
- स्कूलों में हेल्थ केयर अटेंडेंट, नर्स, डॉक्टर और काउंसलर की या तो मौजूदगी हो या फिर वे आसपास की दूरी पर रहें ताकि वे छात्रों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें।
- स्कूल छात्रों और शिक्षकों के लिए नियमित हेल्थ चेकअप के इंतजाम भी करा सकते हैं।
- बच्चों, परिजनों तथा शिक्षकों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेते रहें।
- छात्र और स्टाफ बीमार हो तो वह घर से पढ़ाई या काम कर सके, इसके लिए फ्लेक्सिबल अटेंडेंस और सिक लीव पॉलिसी बनाएं।
एसओपी का दूसरा पार्टः-
- लर्निंग आउटकम का ध्यान रखते हुए कॉम्प्रिहेंसिव और अल्टरनेटिव कैलेंडर बनाया जाए।
- मौजूदा हालात को देखते हुए एकेडमिक कैलेंडर पर दोबारा काम किया जा सकता है।
- छात्र इकट्ठे न रहें, इस पर विद्यालय को ध्यान देना होगा।
- शिक्षकों को छात्रों के साथ उनके करिकुलम के रोडमैप और मोड ऑफ लर्निंग पर बात करनी चाहिए। इसमें फेस टु फेस इंस्ट्रक्शन, इंडिविजुअल असाइनमेंट्स, ग्रुप बेस्ड प्रोजेक्ट और ग्रुप प्रेजेंटेशंस का जिक्र शामिल रहे।
- स्कूल का बेस्ड असाइनमेंट्स किन तारीखों पर होंगे, इस बारे में छात्रों से बात की जाए।
- वर्कबुक, वर्कशीट्स, टेक्नोलॉजी बेस्ड रिसोर्सेस के इस्तेमाल जैसे पढ़ाई के अलग-अलग तरीकों पर ध्यान दिया जाए ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके।
- विद्यालय ध्यान दें कि लॉकडाउन के दौरान घर बैठे पढ़ाई करने वाले छात्र आसानी से फॉर्मल स्कूलिंग पर लौटें। इसके स्कूल अपने कैलेंडर और एनुअल करिकुलम प्लान पर दोबारा विचार करें। इसके स्कूल रेमेडियल क्लासेस शुरू कर सकते हैं या बैक टू स्कूल कैम्पेन चला सकते हैं।
- शिक्षकों , स्कूल काउंसलर्स और स्कूल हेल्थ वर्कर्स एकजुट होकर छात्रों की इमोशनल सेफ्टी पर ध्यान दें।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज बताया कि गृह मंत्रालय ने राज्यों को यह छूट दी है कि वे अपने हालातों को देखते हुए और परिजनों की सहमति से स्कूल खोल सकते हैं। किसी छात्र को जबरदस्ती नहीं बुलाया जाएगा।