दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से लोन मोरेटोरियम के संबंध में अपनी योजना प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने आज इस मुद्दे पर सुनवाई की और केंद्र सरकार को इस संबंध में अपनी योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इस मामले में इगली सुनवाई पांच अक्टूबर को तय की है।

इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष तथा जस्टिस एमआर शाह की  बेंच से कहा कि केन्द्र सरकार ने लोन मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने, मोरेटोरियम अवधि के ब्याज आदि मुद्दों पर विचार के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट देने के लिए कुछ और समय की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 सितम्बर को सुनवाई के दौरान केन्द्र को मोरेटोरियम मुद्दे पर एक योजना के  साथ आने के लिए दो सप्ताह का वक्त दिया था।

आपको बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लगाये गये लॉकडाउन को देखते हुए आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को सभी बैंकों को एक मार्च से  31 मई तक कर्ज की किश्तें अदा करने में छूट देने कहा था। बाद में आरबीआई ने  छूट की यह अवधि 31 अगस्त तक बढ़ा दी थी। इसके बाद केन्द्र सरकार ने कहा था कि यह लोन मोरेटोरियम की अवधि दो वर्ष तक बढ़ायी जा सकती हैै। इस पर शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था।

कोर्ट आगरा के गजेन्द्र शर्मा की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें लोन मोरेटोरियम की अवधि में ब्याज न लेने का निर्देश देने की गुहार की गई है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना वायरस के कारण लोगों की आय और व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है। पीठ ने कहा, “ इस मसले पर सरकार सक्रियता के साथ विचार कर रही है और दो या तीन दिनों में इस पर कोई निर्णय हो जाने की उम्मीद है।” हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता  के इस संबंध में कोई अंतरिम आदेश जारी करने का आग्रह को ठुकरा दिया।

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