दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः भारत और डेनमार्क द्विपक्षीय रणनीतिक तथा आर्थिक संबंधों को नये आयाम पर ले जायेंगे तथा इस क्रम में पर्यावरण अनुकूल उपाय अपनायेंगे। इसके लिए दोनों देश संयुक्त सहयोग आयोग का गठन करेंगे।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेडे फेडरिक्सेन के बीच आज वर्चुअल बैठक में इस संबंध में सहमति बनी। 

इस बैठक के बाद जारी बयान में बताया गया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, कोविड-19 महामारी और दोनों देशों से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर बात की। इस दौरान जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के मसलों पर भी चर्चा हुई। दोनों नेताओं के बीच चिरस्थायी अर्थव्यवस्था और समाज-व्यवस्था को लेकर भी सहमति बनी।  मोदी और मेडे ऐतिहासिक जुड़ावों, साझा लोकतांत्रिक परंपराओं और क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय शांति एवं स्थायित्व की चाहत पर आधारित द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। साथ ही इन संबंधों को ‘हरित रणनीतिक सहयोग’ में बदलने पर सहमत हुए।

दोनों देशों के संयुक्त सहयोग आयोग के गठन के लिए 06 फरवरी 2009 में हुए समझौते को मूर्तरूप देने पर भी राजी हुए। यह आयोग राजनीतिक, आर्थिक एवं वाणिज्यिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, ऊर्जा, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर फोकस करेगा। नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी विकास, पर्यावरण, कृषि एवं पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, जहाजरानी, श्रमिकों की आवाजाही और डिजिटलीकरण पर पहले से मौजूद संयुक्त कार्यसमूहों के अतिरिक्त इस आयोग का गठन किया जायेगा।

संयुक्त बयान में बताया गया कि हरित रणनीतिक साझेदारी दोनों देशों के लिए राजनीतिक सहयोग बढ़ाने, आर्थिक सहयोग और हरित विकास के विस्तार, रोजगार सृजन और वैश्विक चुनौतियों तथा अवसरों के मामलों में सहयोग बढ़ाने में लाभकारी होगा। साझेदारी का फोकस जलवायु परिवर्तन को लेकर किये गये पेरिस समझौते को लागू करने और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने पर होगा।  भारत और डेनमार्क ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण, जल एवं चक्रीय अर्थव्यवस्था, स्मार्ट सिटी और चिरस्थायी शहरी विकास, कारोबार, व्यापार एवं जहाजरानी, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार एवं डिजिटलीकरण, खाद्य एवं कृषि, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विज्ञान तथा सांस्कृतिक सहयोग, जनसंपर्क एवं श्रमिकों की आवाजाही के क्षेत्रों में सहयोग पर राजी हुए हैं।

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