इंटरनेटमेंट डेस्क
प्रखर प्रहरी
मुंबईः ‘भारत रत्न’ स्वर कोकिला लता मंगेशकर 91 साल की हो गई। इस मौके ऱाष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सहित दुनियाभर के प्रशंसकों ने उन्हें शुभकामनाएं दी है और उनकी लंबी उम्र की कामना की है.। लता दीदी ने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीत गाए हैं। बकौल लता जी, ‘पिताजी जिंदा होते तो मैं शायद सिंगर नहीं होती’…लेकिन ऐसा वक्त आया कि लता दीदी को परिवार चलाने के लिए गाना गाना पड़ा। साल 1974 से 1991 तक लता दीदी हर साल सर्वाधिक गीतों को स्वरबद्ध करने का रिकॉर्ड ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड दर्ज कराती रहीं। आइए उनके 91वें जन्मदिन पर आपको लता दीदी से जुड़े कुछ खास किस्से बताते हैं।
- लता दीदी का मानना है कि वह सिंगर अपने पिता की वजह बनीं, क्योंकि संगीत उन्होंने ही सिखाया। लेकिन आपको यह आश्चर्य हो सकता है कि लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर को लंबे समय तक मालूम ही नहीं था कि उनकी बेटी गा भी सकती है। लता को उनके सामने गाने में डर लगता था। वह रसोई में मां के काम में हाथ बंटाने आई महिलाओं को कुछ गाकर सुनाया करती थीं। इस दौरान उनकी मां उन्हें डांटकर भगा दिया करती थीं कि लता के कारण उन महिलाओं का वक्त जाया होता था, ध्यान बंटता था।
- एक बार की बात है कि लता दीदी के पिता दीनानाथ जी किसी काम से कहीं गए हुए थे और उनके घर पर दीनानाथ जी के शिष्य चंद्रकांत गोखले रियाज कर रहे थे। उस समय पांच साल की लता दीदी वहीं खेल रही थीं। उन्होंने गोखले को गलत गाते हुए सुना, तो अंदर आईं और बोलीं आप गलत गा रहे हैं। इसके बाद लता ने गोखले को सही तरीके से गाकर सुनाया। दीनानाथ जी जब लौटे कर घर आए, तो गोखले ने सारी बात बता और दीनानाथ जी के कहने पर लता दीदी ने गाया और वहां से भाग गईं।
- लता दीदी और उनकी बहन मीना ने अपने पिता दीनानाथ जी से संगीत सीखना शुरू किया। छोटे भाई हृदयनाथ केवल चार साल के थे जब पिता की मौत हो गई। उनके पिता ने बेटी को भले ही गायिका बनते नहीं देखा हो, लेकिन लता की सफलता का उन्हें अंदाजा था, क्योंकि वह एक अच्छे ज्योतिषाचार्य भी थे। लता दीदी ने एक बार बताया था कि उनके पिता ने कह दिया था कि वह इतनी सफल होंगी कि कोई उनकी ऊंचाइयों को छू भी नहीं पाएगा। साथ
- लता दीदी ने महज 13 साल की उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी संभाली थी। वह अपनी बहन मीना के साथ मुंबई आकर मास्टर विनायक के लिए काम करने लगीं। महज 13 साल की उम्र में ही उन्होंने 1942 में ‘पहिली मंगलागौर’ फिल्म में एक्टिंग की। कुछ फिल्मों में उन्होंने हीरो-हीरोइन की बहन के रोल किए हैं, लेकिन एक्टिंग में उन्हें कभी मजा नहीं आया। लता दीदी को पहली बार ‘लव इज ब्लाइंड’ फिल्म में गाने का मौका मिला, लेकिन यह फिल्म रिलीज0 नहीं हुई।
- लता दीदी जब 18 साल की थी, तो संगीतकार गुलाम हैदर ने उन्हें सुना और उस जमाने के सफल फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी से मिलवाया, लेकिन शशधर ने साफ कह दिया ये आवाज बहुत पतली है, नहीं चलेगी’। फिर मास्टर गुलाम हैदर ने ही लता को फिल्म ‘मजबूर’ के गीत ‘अंग्रेजी छोरा चला गया’ में गायक मुकेश के साथ गाने का मौका दिया। यह लता का पहला बड़ा ब्रेक था, इसके बाद उन्हें काम की कभी कमी नहीं हुई। बाद में शशधर ने अपनी गलती मानी और ‘अनारकली’, और ‘जिद्दी’ जैसी फिल्मों में लता दीदी को कई गीत गाने का मौका दिया।