दिल्ली डेस्क
प्रखर प्रहरी
दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर को आकाशवाणी के माध्यम से देशवासियों से मन की बात की। पीएम मोदी के मन की बात का यह 69वीं कार्यक्रम था। इस दौरान उन्होंने लोगों को कोरोना से बचाव के लिए पूरी सावधानी बरतने की अपील की तथा बच्चों को कहानी सुनाने की परंपरा खत्म होने पर चिंता जताई। साथ ही उन्होंने हाल ही संसद से पास हुए कृषि संबंधी विधेयकों को लेकर कहा कि नए कृषि कानून से किसानों कोे फायदा होगा। अब वे जहां चाहेंगे अपने फव और सब्जियों को ले जाकर बेच सकेंगे।
बापू के आदर्शों पर चलने की अपील
पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को स्मरण करते हुए कहा कि यदि हम राष्ट्रपिता के आदर्शों पर चले होते तो आज ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की जरूरत नहीं होती। उन्होंने कहा कि दो अक्टूबर हम सबके लिए पवित्र और प्रेरक दिवस होता है। यह दिन मां भारती के दो सपूतों, महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है। उन्होंने कहा “पूज्य बापू के विचार और आदर्श आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं। महात्मा गांधी का जो आर्थिक चिन्तन था, अगर उस भावना को पकड़ा गया होता, समझा गया होता, उस रास्ते पर चला गया होता, तो आज आत्मनिर्भर भारत अभियान की जरूरत ही नहीं पड़ती।” इस मौके पर महात्मा गांधी, लालबहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण और राजमाता सिंधिया के योगदान को याद किया। इन सभी हस्तियों का अगले महीने जन्मदिन है।
मन की बात में भगत सिंह
मोदी ने मन की बात के दौरान कहा कि आज के युवा भले ही शहीद-ए-आजम भगत सिंह की तरह न बन पायें लेकिन उनकी तरह देश प्रेम का जज्बा दिल में होना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने शहीद-ए-आजम को याद करते हुये कहा कि 101 साल पहले वर्ष 1919 में जलियाँवाला बाग़ में अंग्रेजों ने जिस प्रकार निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया था उसे देखकर 12 साल का एक खुशमिज़ाज और चंचल बालक यह सोचकर स्तब्ध रह गया कि कोई इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था। उसी जलियांवाला बाग़ में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ लड़ने की कसम खायी। उन्होंने कहा “हाँ! मैं शहीद वीर भगतसिंह की बात कर रहा हूँ। कल यानी 28 सितम्बर को हम उनकी जयन्ती मनायेंगे। मैं समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूँ। एक हुकूमत जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, जिनके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता, इतनी ताकतवर हुकूमत एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गई थी।”
उन्होंने भगत सिंह को एक पराक्रमी देशभक्त के साथ विद्वान और चिंतक बताते हुए कहा कि उन्होंने और उनके क्रांतिवीर साथियों ने अपने जीवन की चिंता किये बगैर ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान रहा। उनके जीवन का एक और खूबसूरत पहलू यह है कि वह मिलकर काम करने के महत्व को बख़ूबी समझते थे। लाला लाजपतराय के प्रति उनका समर्पण हो या फिर चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु समेत क्रांतिकारियों के साथ उनका जुड़ाव, उनके लिये कभी व्यक्तिगत गौरव महत्वपूर्ण नहीं रहा। वे जब तक जिये सिर्फ एक लक्ष्य के लिए जिये और उसी के लिये उन्होंने अपना बलिदान दे दिया। वह लक्ष्य था भारत को अन्याय और अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना।
एपीएमसी से बाहर उपज बेचने पर किसानों को होगा लाभः मोदी
पंजाब, हरियाणा तथा देश के अन्य हिस्सों में कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध के बीच पीएम मोदी ने आकाशवाणी पर मन की बात में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि पहले मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में बहुत किसानों को दिक्कत आती थी। यदि वह मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियां बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियां तक जब्त हो जाती थी। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी कानून से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। चार साल पहले, उन्होंने, अपने गांव के साथी किसानों के साथ मिलकर एक किसान उत्पादक समूह की स्थापना की। आज, गांव के किसान स्वीट कोर्न और बेबी कोर्न की खेती करते हैं। उनके उत्पाद, आज, दिल्ली की आजादपुर मंडी, बड़ी दुकानों तथा होटलों में सीधे जा रहे हैं। आज, गाँव के किसान इनकी खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इसी गांव के 60 से अधिक किसान नेट हाउस और पॉली हाउस बनाकर टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, इसकी, अलग-अलग किस्मों का उत्पादन करके, हर साल प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रूपये तक की कमाई कर रहें हैं। पीएम ने कहा कि इन किसानों के पास अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। फल-सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में, वो जो पैदा कर रहें हैं – धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार, जहां ज्यादा दाम मिले, वहीं पर, बेचने की, अब, उनको आज़ादी मिल गई है।
गुलामी के दौर की कहानियों को प्रसारित करने की अपील
प्रधानमंत्री कहा कि कहानियां और किस्से कहने की हमारी समृद्ध परंपरा रही है। देश के कई लोग आज भी इस परंपरा को आगे बढाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने इस काम से जुड़े लोगों से गुलामी के दौर के किस्से और कहानियां भी कहने और उन्हें प्रचारित तथा प्रसारित करने का आग्रह किया है ताकि आज की पीढ़ी को उस दौर के संकट से रूबरू किया जा सके। उन्होंने कहा “मैं, कथा सुनाने वाले सबसे आग्रह करूंगा कि हम आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं उनको कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं। विशेषकर 1857 से 1947 तक हर छोटी-मोटी घटना से अब हमारी नयी पीढ़ी को कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं। मुझे विश्वास है कि आप लोग ज़रूर इस काम को करेंगे। कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें और अधिक प्रचारित हो और सहज बने इसलिए आओ हम सब प्रयास करें।”
मोदी को सुनाई अपर्णा ने तेनालीराम की कहानी
मोदी ने मन की बात के दौरान स्टोरी टेलर अपर्णा अत्रेया से बात की। अपर्णा ने कहा कि मैं बैंगलोर स्टोरी टेलिंग सोसाइटी की ओर से आपको बधाई देना चाहती हूं। मेरे पति एयरफोर्स में हैं, मैं पैशनेट स्टोरी टेलर हूं। मुझे बच्चों को कहानी के जरिए शिक्षा देने का मौका मिला। दादी से कहानियां सुनने के दौरान ही मुझे लगा कि बच्चों के साथ ऐसा करना कितना दिलचस्प होगा। अपर्णा के साथ उनकी टीम की कई महिलाओं ने मोदी से स्टोरी टेलिंग को लेकर बात की। अपर्णा ने मोदी को विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय और उनके मंत्री तेनालीराम की कहानी सुनाई।
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